जहां सरकार द्वारा किसानों के लिए हर सुविधा का इंतजाम किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जल संसाधन विभाग द्वारा की जा रही लापरवाही और अनदेखी के कारण किसानों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हम बात कर रहे है उमरिया जिले की।
उमरिया जिला मुख्यालय के पास उमड़ार झील, जिसमें बाँध बनाकर नहरों के ज़रिये से निकलने वाले पानी से किसानों के लिए सिचाई की ज़रूरत को पूरा करने का काम हो रहा है। किंतु कुछ सालों से इस बांध से कृषि सिंचाई के लिए बनाई गई नहरों में घास फूस का जमावड़ा हो गया है। बस यही नहीं, कई जगह से नहरें टूटी हुई हैं।
इस कारण से नहर से बहकर लगभग 70 प्रतिशत पानी चपहा नाले में समा जाता है। बांध से नहरों में लम्बे समय से बहुत ज़्यादा मात्रा में पानी चल रहा है किंतु पानी का लगभग एक तिहाई भाग ही कृषि भूमि तक पहुंच रहा है और बाकि का पानी चपहा नाले में जाकर बेकार हो रहा है।
इस गंभीर समस्या पर जल संसाधन विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है, किसानों के लिए यह पानी बहुत कीमती है किन्तु यह इस्तेमाल में नहीं आ पा रहा है जिससे किसानों को बहुत नुकसान और मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार कई सालों से यह समस्या किसानों को हो रही है, किन्तु अभी तक इस पर कार्यवाही नहीं की गई। न जाने कबसे यह किसान लोग इस उम्मीद में है कि नहरें ठीक कराई जायगी और उनको सिचाई के लिए भरपूर पानी की प्राप्ति होगी।
बांध में पानी का मुख्य सोर्स सिर्फ बारिश ही है, किन्तु इससे जुडी नहर में पानी नहीं पहुंच पा रहा है, और अगर थोड़ा बहुत पानी पहुंच भी जाये तो धान की ही फसल के लिए दोबारा उतने ही पानी की ज़रूरत पड़ सकती है। तब ये किसान लोग कहां जायंगे और क्या करेंगे?
जल संसाधन विभाग को आवश्यकता है कि बांध से कृषि सिंचाई के लिए बनाई गई नहरों में घास पूस के जमावड़े को हटाया जाये व नहरों को ठीक किया जाये। वरना इन किसानों की फसलों की पूरी तरह से सिचाई नहीं होगी और इन्हे बहुत भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। जिसका प्रभाव ले-देकर सरकार पर ही आएगा।