इसे प्रशासन की लापरवाही ही कहेंगे क्यूंकि रोक के बावजूद शहडोल में पटाखा कारोबारियों ने पटाखों का स्टॉक रखना शुरू कर दिया है, जबकि सरकार द्वारा यह आदेश दिए जा चुके हैं की आबादी क्षेत्र में पटाखों को रखना या बेचना मना है। लेकिन पटाखा कारोबारियों द्वारा इन्हे अवैध तरीके से बेच कर सैकड़ों लोगों की ज़िंदगियाँ दाव पर लगाईं जा रहीं हैं। नियमो के अनुसार आतिशबाज़ी का भंडारण आबादी क्षेत्र में नहीं होना चाहिए।
दीपावली का पर्व अब नज़दीक है, और अवैध बिक्री कर मुनाफा कमाने वाले दुकानदारों ने पटाखों का भारी स्टॉक जमा कर लिया है। और यह पटाखे की बिक्री कोई खुले आम नहीं की जा रही बल्कि किसी ने अपने घरों में इन्हे रखा हुआ है तो किसी ने अपनी दुकानों में। शहडोल शहर में अब लाखों रुपए के पटाखे रखे हुए हैं, अब सोचने वाली बात यह है की बगैर किसी लाइसेंस और सुरक्षा मानकों के इतनी बड़ी तादाद में शहर के अंदर बारूद रखा गया है। छोटी सी गलती, कब ज़िन्दगियों को नष्ट कर दे पता नही चलेगा।
यह सब काम बड़ी प्लानिंग के साथ इनके द्वारा किया जाता है। दिवाली के कुछ माह पूर्व ही पटाखों का बिकना शुरू हो जाता है ताकि वह अच्छा ख़ासा मुनाफा कमा पाएं। जैसे दिवाली और दशहरा में खूब पटाखे जलाये जाते हैं तो इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए ऐसी प्लानिंग इन लोगों द्वारा की जाती है।
दशहरा के पर्व में यह साफ़ हो गया था की शहर में पटाखों का काफी ज़्यादा स्टॉक है क्यूंकि इस समय पटाखों की अधिक मात्रा में बिक्री हुई।चोरी छिपे दुकानदारों ने बढ़ चढ़कर पटाखों को बेचा।
हाल कुछ ऐसा था की दुकानदारों ने शहर के रिहायशी क्षेत्रों में बने अपने मकानों में स्टॉक रखना शुरू कर दिया था। जिन पटाखों की बिक्री के लिए मना किया गया था उन पटाखों की भी बहुत अधिक मात्रा में बिक्री हुई है। और यह सब तभी संभव हो पाया है जब सही तरीके से इन क्षेत्रों में चेकिंग नही की जाती है, और आलम कुछ ऐसा है की कुछ रुपए देने पर ही लाइसेंस इनको मिल जाता है।
इसको देखते हुए जागरूक निवासियों ने पुलिस अधीक्षक से चेकिंग की मांग भी जताई है जिसपर उन्होंने कहा की अवैध पटाखे की बिक्री की खबर मिलते ही जांच कर कार्यवाही की जायेगी।