चार माह से यानी की जुलाई माह से एक पीड़ित महिला आरोपियों के जाल से अब जा कर के आज़ाद हो पाई है, शिकायत फाइल करवाने के बाद चंदिया पुलिस एक्टिव नज़र आई, और यह एक्टिवनेस बड़ा हादसा होजाने के बाद ही नज़र आती है, न जाने कितनी ऐसी महिलाएं हैं जो आज भी ऐसे चंगुल में फसी हुईं हैं लेकिन प्रशासन को कहां है इसकी सुध। हालांकि आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन चार माह से लगातार पीड़ित महिला इन आरोपियों की प्रताड़ना की शिकार होती रही जिसके कारण महिला बेहद कमज़ोर हो गईं।
जब आरोपियों के चंगुल से महिला को छुड़ाया गया तो यह खबर निकली की महिला गर्भवती है, जिसके चलते महिला चंदिया अस्पताल पहुंची, लेकिन वहां से महिला को जिला अस्पताल रेफेर किया गया, जहाँ पीड़ित महिला द्वारा एक नवजात पुत्री को जन्म दिया गया, लेकिन पुत्री का वजन कम होने की वजह से काफी प्रयासों के बावजूद नवजात पुत्री की मृत्यु हो गई।
इसके चलते पीड़ित महिला गहरे सदमे में चली गई है, इसके बाद पुलिस प्रशासन द्वारा डीएनए और अन्य कई सैंपलिंग करवाई गई, ताकि दुष्कर्म करने वालों की अधिक जानकारी प्राप्त हो सके।
अब सवाल यह उठता है की प्रशासन द्वारा ऐसे हादसों का इंतज़ार क्यों किया जाता है, क्यों कोई कड़े नियम कानून ऐसे आरोपियों के लिए नहीं बनाये जाते हैं। यह सिर्फ एक मामला सामने आया है, न जाने ऐसे कितनी महिलाएं इस तरह के अपराध का शिकार हो चुकी हैं और हो रही हैं । अब चिंता वाली बात यह होगी की क्या इस हादसे के कारण सदमे में गयी वह पीड़ित महिला ठीक हो भी पायेगी या नहीं पाएगी ?