एक समय था जब अनूपपुर की बिजुरी नगर पालिका के तहत अनेकों तालाब थे। इन तालाबों का इस्तेमाल सिंचाई, दैनिक जीवन के उपयोग और पशुओं के पीने के लिए होता था। वही यह तालाब भूजल स्तर बनाए रखने में भी मददगार साबित होते थे। लेकिन नगर पालिका द्वारा इन सार्वजनिक तालाबों का रखरखाव और संरक्षण न होने की वजह से धीरे धीरे यह तालाब अतिक्रमण और प्रदूषण का शिकार होते जा रहे हैं।
नगर पालिका द्वारा न तो इनकी मेढ़ों का निर्माण कराया जा रहा है, न गहरीकरण हो रहा है और न साफ सफाई की जा रही है। तालाब सूखते जा रहे हैं जिन लोगों की जीविका इन तालाबों पर निर्भर करती थी उन्हें मीलों दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा है। भूजल स्तर में कमी के कारण भी बिजुरी में पानी का संकट गहराने लगा है। सफाई न होने की वजह से यह तालाब कचरे और दलदल में तब्दील होने लगे हैं। और कहीं कहीं तो मैदानों तक में बदल चुके हैं। वहीं गाजर घास और झाड़ झंकारियों ने भी तालाबों को बर्बाद कर दिया।
अतिक्रमण भी तालाबों के वजूद को लेकर एक बड़ी समस्या है। लोग इन तालाबों की जमीन में इमारत बनाते जा रहे हैं तो वहीं भूमाफिया भी इन तालाबों की जमीन पर नजर गड़ाए बैठे हैं। नगर पालिका द्वारा हर साल लाखों रुपए खर्च किए जाने की बात कही जाती है लेकिन इन तालाबों के रखरखाव और सुंदरीकरण में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बिजुरी नगरपालिका में कुल 15 तालाब हैं जिनमें वार्ड क्रमांक एक में देवी चौराहा तालाब सिगुड़ी तालाब, वार्ड संख्या 3 में सूर्य मंदिर तालाब, वार्ड संख्या 9 में गलैयाटोला तालाब, 6 में भालूगड़ार तालाब, 7 में दलदल देवी चौराहा तालाब प्रमुख है। इन तालाबों में वर्ष भर पानी रहता था लेकिन अब प्रशासन द्वारा ध्यान न दिए जाने से यह बर्बाद हो रहे हैं।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बिजुरी नगरपालिका अध्यक्ष पुरुषोत्तम सिंह ने कहा है कि परिषद की बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाएगा और तालाबों के संरक्षण के लिए प्रस्ताव पारित कर बजट भी निर्धारित किया जाएगा। उम्मीद है नगरपालिका अध्यक्ष की इन बातों में कुछ सच्चाई हो और इन तालाबों का नसीब बदल सके।