देश में स्वच्छता अभियान शुरू हुए कई साल बीत चुके है किन्तु आज भी कई ऐसे शहर, जिले और कस्बे है जहां साफ-सफाई तो दूर, कूड़े को कचरायार्ड में फेकने की जगह ऐसे ही सड़क किनारे खाली जगह या कोई मैदान में फेंक दिया जाता है। जिसपे प्रशासन भी अनदेखी करता है और कूड़े के ढेर से जगह-जगह बदबू और गंदगी के कारण ढेरों बीमारियों को निमंत्रण दिया जाता है।
आज हम बात कर रहे है शहडोल जिले की, जहां जिला कलेक्टर वंदना वैद्य साफ-सफाई और स्वच्छता का निरीक्षण करने पहुंची। इस दौरान उन्होंने शहडोल नगर के बाईपास तिराहा, जयस्तंभ चौक, अंबेडकर तिराहा, पुराना बस स्टैंड, जेल बिल्डिंग ,चौपाटी और गांधी चौराहा सहित शहर के अन्य विभिन्न चौराहों के साफ सफाई का निरीक्षण किया और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एवं नगरपालिका अधिकारी शहडोल के साथ समस्त दुकानों का अवलोकन भी किया।
इस निरीक्षण के दौरान उन्होंने सभी दुकानदारों को परिसर में साफ सफाई और स्वछता रखने को कहा, साथ ही उन्होंने इन दुकानदारों को दुकानों के आगे एक डस्टबिन रखने को कहा, और कोरोना गाइडलाइन्स का पालन करने के भी निर्देश दिए। और अगर इन निर्देशों के बाद भी दुकानदारों द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है तो उनके विरुद्ध सभी अधिकारियों को सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
पर कलेक्टर द्वारा दिए निर्देशों के बावजूद जिले में साफ-सफाई और स्वछता देखने को नहीं मिल रही है। दरअसल शहडोल नगरपालिका के सफाई कर्मचारियों ने 19 अक्टूबर से सफाई का काम बंद रखा है और हड़ताल शुरू की हुई है। इन कर्मचारियों की नौ सूत्री मांगे है जो कि प्रशासन द्वारा पूरी नहीं की जा रही है, जिससे इन्होंने जिले में सफाई का काम बंद कर रखा है। इनकी ईपीएफ कटौती, महंगाई भत्ता व समय पर वेतन भुगतान जैसी कई मांगे है, जिसके पूरा न होने से यह बहुत नाराज हैं।
हाल ही में ऐसी भी खबर आई थी कि नगरपालिका द्वारा शहर और वार्डों की स्वच्छता और सफाई के लिए 10 नए कचरा गाड़ियों को भी खरीदा गया है, जिनकी कीमत लगभग 80 लाख रूपए बताई जा रही है। इस बात से सफाई कर्मचारियों में और आक्रोश बढ़ गया है और वो कह रहे है कि अगर प्रशासन के पास कचरा गाड़ी खरीदने का पैसा है तो वह उनका वेतन क्यों नहीं बढ़ा रहा? और उनकी मांगो को क्यों अनदेखा कर रहा है?
इस सबके बाद बस यहीं कहा जा सकता है कि प्रशासन और जिला कलेक्टर द्वारा साफ-सफाई और स्वछता अभियान को लेकर कई निर्देश तो दिए जाते है किंतु उनका पालन होता नहीं दिख रहा है। वहीं दूसरी ओर, सफाई कर्मचारियों की मांगो को अनदेखा कर नई और महंगी कचरा गाड़ियां भी खरीदी जा रही है। प्रशासन को सबसे पहले तो इन कर्मचारियों की मांगों पर कार्यवाही कर एक्शन लेने की ज़रूरत है, तभी जिले में साफ-सफाई और स्वछता अभियान का पालन किया जायगा। और जिलावासियों को भी इस अभियान को लेकर जागरूक करने की आवश्यकता है।