करोना लाकडाउन के बाद सभी उद्योगों के उत्पादन में कमी देखी गई थी। भारत में भी कोयले की कमी के कारण बिजली का संकट मंडराने लगा है। इसी को लेकर अब प्रबंधन ने कोयला उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना शुरू कर दिया है। धनपुरी के एसईसीएल सुहागपुर एरिया में भी प्रबंधन द्वारा कोयला खदानों में कोयला उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
खदानों के एरिया महाप्रबंधक निजी तौर पर खदानों का निरीक्षण करके कोयला उत्पादन बढ़ाने की तकनीक और प्रक्रिया पर अधिकारियों से चर्चा कर रहे हैं। इसी तरह का एक प्रयास भूमिगत खदान दामिनी प्रोजेक्ट में भी किया जा रहा है। दामिनी प्रोजेक्ट में कोयला उत्पादन बढ़ाए जाने को लेकर प्रबंधन और प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयास भी सफल होते दिख रहे हैं।
दामिनी प्रोजेक्ट खदान प्रबंधक जेके गुप्ता ने अपनी पूरी टीम के साथ कोयला उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि फिलहाल यहां लगभग 1000 टन कोयला उत्पादन प्रतिदिन के हिसाब से किया जा रहा है और इस क्षमता को और भी ज्यादा बढ़ाए जाने की जरूरत है।
जानकारी है कि भूमिगत खदान दामिनी प्रोजेक्ट को बिलासपुर मुख्यालय के द्वारा वार्षिक कोयला उत्पादन लक्ष्य के तौर पर 3,41000 टन का लक्ष्य दिया गया था और अभी तक के आंकड़ों की बात करें तो लगभग 1,30000 टन के आसपास कोयला उत्पादन किया जा चुका है।
प्रबंधन का यह भी कहना है कि कोयला उत्पादन के साथ-साथ नई तकनीक और श्रमिकों की सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है। दामिनी प्रोजेक्ट के साथ अन्य खदानों पर भी कोयला उत्पादन बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। देखा जाए तो अमलाई ओपन कास्ट खदान में अभी तक सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन हो रहा था लेकिन सितंबर माह में कंपनी के द्वारा टेंडर समाप्त किए जाने के बाद यहां काम बंद कर दिया जाएगा। नई कंपनी कब से यहां कोयला खनन कार्य शुरू करेगी इसके विषय में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इस खदान से अब तक 4 से 5 हजार टन प्रतिदिन कोयला खनन किया जा रहा था।
अमलाई ओपन कास्ट खदान के बंद हो जाने से दामिनी प्रोजेक्ट खदान पर कोयला उत्पादन की निर्भरता और भी बढ़ गई है। इतना ही नहीं बल्कि शारदा ओपन कास्ट खदान का टेंडर भी काफी समय से बंद पड़ा है यहां भी लगभग 2000 टन कोयला उत्पादन किया जाता था। कोयला खनन प्रबंधन को जरूरत है कि सभी बंद पड़ी खदानों में फिर से जल्द से जल्द कोयला उत्पादन का कार्य शुरू किया जाए, ताकि कोयले की कमी से जूझ रही अर्थव्यवस्था में फिर से जान डाली जा सके और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके।