बारिश के पानी को संरक्षित करने और ग्रामीण इलाकों में सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए अनूपपुर जिला प्रशासन ने छोटे-छोटे नदी नालियों पर चेक डैम, स्टॉप डैम और बोरी बंधान कर पानी को रोककर इसे संरक्षित करने का फैसला किया है। इससे जहां बर्बाद होते पानी का संरक्षण किया जा सकता है, वहीं ग्रामीण इलाकों में सिंचाई व्यवस्था के लिए भी पानी उपलब्ध हो पाएगा।
अनूपपुर एक पठारी और पहाड़ी इलाका है यहां यदि सभी विकास खंडों में नदी नालियों पर चेक डैम और पोस्ट डैम बना दिया जाए तो हजारों लीटर पानी बचाया जा सकता है और सैकड़ों हेक्टेयर इलाके में सिंचाई की जा सकती है। गर्मियों के दिनों में पानी की कमी हर जगह महसूस की जाती है, नीचे होते भूजल स्तर को देखते हुए इस तरह के प्रयास और भी आवश्यक हो जाते हैं।
अनूपपुर जिला पंचायत आरईएस विभाग द्वारा जिले की सभी विकास खंडों में 360 स्टॉप डेम और चेक डैम को चयनित कर के पानी रोकने का काम शुरू कर दिया गया। अब तक 286 स्टॉप डेम और चेक डैम में बोरी बंधान और कड़ी शटर के जरिए पानी को रोका जा रहा है। अनुमान है कि इन चेक डैम और स्टॉप डैम से 4 से 5 लाख घन मीटर पानी बर्बाद होने से बचाया गया है।
इस कार्य के लिए जिले को 25 सेक्टर में बांटा गया है और 25 इंजीनियरों को नियुक्त किया गया है। चयन किए गए स्टॉप डैम में से अनूपपुर विकासखंड में 88, जैतहरी में 129, कोतमा में 102 और पुष्पराजगढ़ में 41 डैम शामिल हैं। इस पूरे कार्यक्रम के प्रभारी कार्यपालन यंत्री आरईएस जिला पंचायत अनूपपुर एम के इक्का का कहना है कि 25 अक्टूबर तक कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं।
विभाग ने चयन किए गए 360 डैम में से 286 का कड़ी शटर और बोरी बंधान कार्य पूरा कर लिया है और बाकी बचे डेम में भी जल्द ही बंधन कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इस पानी से आगामी रबी की फसल के 135 से 150 हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जा सकेगा। प्रशासन का यह कदम निश्चित रूप से सराहनीय है।