शहडोल में पर्यावरण के प्रति जन जागरूकता के लिए और आगामी दिवाली के पर्व पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण के संबंध में एक बेबिनार का आयोजन किया गया। वेबीनार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आयोजित किया गया था, जिसका नेतृत्व क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा ने किया। इस वेबीनार में कई विशेषज्ञों ने अपने-अपने मत रखें।
एमके भटनागर विभागाध्यक्ष रसायन शास्त्र ने बताया कि पटाखों में मुख्य रूप से सल्फर के तत्व होते हैं और इनमें भी कई प्रकार के बाइंडर्स, स्टेबलाइजर, ऑक्सिडाइजर, रिड्यूजिंग एजेंट और रंग मौजूद होते हैं जो हवा में घुलकर पूरे वातावरण में फैल जाते हैं और सांस के जरिए हमारे फेफड़े तक भी पहुंच जाते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं। इन रसायनों से हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है।
पटाखों से होने वाले प्रदूषण से खतरा और भी बढ़ जाता है क्योंकि दिवाली का यह त्यौहार अक्टूबर या नवंबर माह में पड़ता है। जिस दौरान उत्तर भारत में ठंड होती है और ठंड में कोहरे के साथ यह धुआं मिलकर और भी खतरनाक हो जाता है। इन हानिकारक तत्वों से अल्जाइमर तथा फेफड़ों के कैंसर जैसे घातक रोग हो सकते हैं।
पटाखों का प्रदूषण जहां इंसानों के लिए खतरनाक है वही पशु पक्षियों के लिए भी घातक है। पटाखों की आवाज से कई पक्षी बुरी तरह प्रभावित होते हैं और पटाखों की तेज प्रकाश के कारण वे रास्ता भटक जाते हैं या अंधे भी हो सकते हैं। इसी तरह बाकी विशेषज्ञों ने भी प्रदूषण को लेकर अपने अपने विचार रखे।
इस वेबीनार में एसएनएस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमके भटनागर सहित प्रोफेसर लाल सिंह, प्रोफेसर स्मिता वर्मा, अभिमन्यु सिंह रिलायंस इंडस्ट्री के साथ ही मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य और अन्य अतिथि भी मौजूद थे।