शहडोल के सोहागपुर एरिया में दामिनी यूजी माइंस के गेट के सामने पिछले 3 दिनों से किसान और ग्रामवासी हड़ताल पर बैठे हुए थे, लेकिन 25 अक्टूबर को अधिकारियों से बात करने और आश्वासन मिलने के बाद किसानों ने आंदोलन बंद कर दिया है।
दरअसल खनन कंपनी द्वारा कोयला खनन के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। नियम के मुताबिक इस अधिग्रहित की गई जमीन के बदले किसानों को मुआवजा और रोजगार दिया जाना था। लेकिन लंबे समय से रोजगार की मांग कर रहे इन किसानों को अभी तक रोजगार नहीं मिल पाया था।
नौकरी देने से जुड़ी फाइलों पर लंबे समय से कोई कार्यवाही नहीं हो रही थी इसको लेकर किसानों ने स्कूल प्रबंधन को शिकायत भी दर्ज कराई थी, लेकिन फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई आखिरकार किसानों ने 22 अक्टूबर को आंदोलन करने का फैसला कर लिया।
पिछले 3 दिनों से आंदोलनकारी रोजगार संबंधी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे और दामिनी कोल माइंस गेट को बंद करने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन समय पर प्रशासन ने किसानों से बात की और दोनों पक्षों के बीच फिलहाल के लिए सहमति बन गई है। किसानों ने कोल प्रबंधन को 90 दिनों का समय दिया है और यह मांग की है कि 90 दिनों के भीतर रोजगार संबंधी सारी मांगों पर एक्शन लिया जाना चाहिए। इस को लेकर किसानों ने प्रशासन से एक लिखित नोटिस भी लिया है।
हड़ताल पर बैठे इन किसानों को भारी जनसमर्थन मिल रहा था और सैकड़ों किसान किसान आंदोलन में शामिल हो रहे थे। यही कारण था कि तीसरे दिन एसईसीएल बिलासपुर के दो जॉइंट मैनेजर के अलावा शहडोल के अपर कलेक्टर, एसडीएम और एएसपी सहित कई अधिकारी आंदोलन स्थल पर पहुंचे और किसानों से बात की। इसके बाद सर्वसम्मति से 3 महीने के भीतर किसानों की सारी मांगों पर एक्शन लेने का भरोसा दिलाया गया है।
पिछले कई सालों से कोल कंपनी द्वारा इन किसानों को रोजगार के संबंध में बहलाया जा रहा था, और कोई एक्शन नहीं लिया गया था। आखिर क्यों किसानों को आंदोलन करने की जरूरत पड़ी यह सोचने की बात है! उम्मीद है कोल प्रबंधन इस विषय पर कार्यवाही करते हुए किसानों की मांग को स्वीकार करेगा।