शासन द्वारा लगातार मिलावटी सामान और मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी मिलावटी सामान की जांच करने और मिलावटखोरों के खिलाफ एक्शन लेने में लापरवाही बरतते हुए नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि खाद्य पदार्थों में मिलावट का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है और मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हो रहे हैं।
फिलहाल देश में त्योहारों का सीजन चल रहा है और मिठाइयां, दूध, खोवा, मेवा, व अन्य पदार्थों की बिक्री बढ़ जाती है। बढ़ी हुई मांग को देखते हुए मिलावटखोरों को भी मिलावटी सामान बेचने का मौका मिल जाता है। अनूपपुर जिले की ही बात करें तो यहां 4000 से भी ज्यादा पंजीकृत व्यवसायिक प्रतिष्ठान है।
लेकिन खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा दिखावे के लिए 1-2 दुकानों की पड़ताल कर कागजी कार्यवाही पूरी कर दी जाती है। आंकड़ों की बात करें तो 9 नवंबर 2020 से 4 अक्टूबर 2021 के बीच अनूपपुर जिले के खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा कुल 392 निरीक्षण किए गए हैं और इनमें से भी केवल 181 सैंपल ही इकट्ठे किए गए थे। इनमें से भी केवल 122 की ही रिपोर्ट मिल सकी है जबकि 9 सैंपल फेल हो गए हैं। और इस पर भी केवल 5 को ही नोटिस जारी किया गया है।
त्योहार के सीजन के अलावा मिलावटखोरों के लिए कोरोना भी एक बहाना है। कोरोना की तंगी से जूझ रहे कारोबारी अधिक मुनाफा कमाने के लिए निश्चित तौर पर सामानों में मिलावट करेंगे। मिलावटी सामान का यह नेटवर्क केवल अनूपपुर ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के पेंड्रा, गौरेला बल्कि जबलपुर तक फैला हुआ है। यहां तक कि ग्वालियर क्षेत्र से भी नकली खोवा सप्लाई किया जाता है और उसकी मिठाइयां बनाकर भेजी जाती हैं।
मिलावट की समस्या पर जब अनूपपुर के सीएमएचओ डॉ एस सी राय से पूछा गया तो उन्होंने संबंधित विभाग अधिकारियों को कार्यवाही के लिए निर्देशित किए जाने के बाद की है। लेकिन अभी भी मिलावट के विरुद्ध शासन द्वारा कोई सख्त एक्शन लिया जाता हुआ नहीं दिख रहा है।
मिलावटखोरी एक अपराध तो है ही लेकिन ये लोगों के जीवन के साथ हुई खिलवाड़ कर रहे हैं। नकली खाद पदार्थों का उपयोग करके लोग बीमार पड़ रहे हैं। इसलिए जरूरत है कि प्रशासन मिलावट के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करें।