24 अक्टूबर की रात लगभग 2 बजकर 20 मिनट पर अंबिकापुर से लौट रही एक मालगाड़ी कमलपुर यार्ड के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें मालगाड़ी के आठ डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इसी दुर्घटना का जायजा लेने घटनास्थल पर एडीआरएम बिलासपुर, एडीइएन मनेंद्रगढ़, इंजीनियर सहित कई अधिकारी पहुंचे। अधिकारियों के निर्देशन में पटरियों से दुर्घटनाग्रस्त मालगाड़ी के मलबे को हटाया जा रहा है और यातायात बहाल करने की कोशिश की जा रही है। साथ ही दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा रहा है।
अधिकारियों का मानना है कि पहली दृष्टि में इस घटना के पीछे चालक और गार्ड की लापरवाही की आशंका है। रेल्वे चालक का काम पावर ऑपरेटिंग करना जबकि गार्ड का काम स्टेशन छोड़ने से पूर्व आशंका पूर्ण बैगन या डिब्बों की जांच करना होता है। संभवत यही पर चूक हुई थी।
इसके अलावा कई अधिकारियों की नजर में इंजीनियरिंग विभाग से भी गड़बड़ी की आशंका है। क्योंकि इससे पहले जुलाई महीने में भी इसी स्थान के आस पास एक और मालगाड़ी पुल को पार करते समय गिर गई थी और इसमें इंजीनियरिंग विभाग को ही दोषी पाया गया था।
हालांकि अभी किसी भी संदेह की पुष्टि नहीं की जा सकती, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही दुर्घटना के कारणों का पता चल सकता है। इस दुर्घटना से रेल की पटरियों को तो नुकसान नहीं पहुंचा लेकिन व्हील और डिब्बों ने ट्रैक के स्लीपर को नुकसान पहुंचाया है।
बताया जा रहा है कि 2 से 3 किलोमीटर तक के स्लीपर क्षतिग्रस्त हुए हैं। इस नुकसान से इस मार्ग का रेल यातायात भी प्रभावित हुआ है। घटनास्थल से कुछ किलोमीटर की रेंज में रेलगाड़ियों को धीमी गति से निकलने दिया जा रहा है। इसी कारण कई ट्रेनें लेट चल रही हैं। जिनमें इंटरसिटी अंबिकापुर-जबलपुर, दुर्ग अंबिकापुर ट्रेनें शामिल हैं।
रेलगाड़ियों में आए दिन कोई न कोई दुर्घटना सामने आती रहती है और जब दुर्घटना हो जाती है, तब प्रशासन जांच कमेटियां बैठाता है और कार्यवाही करता है। रेल विभाग को जरूरत है कि रेल दुर्घटनाओं से पहले ही कमियों की छानबीन की जाए और उन्हें दुरुस्त किया जाए ताकि किसी भी प्रकार की जान-माल की हानि न हो सके।