शहडोल संभाग के तीनों जिलों शहडोल, अनूपपुर, उमरिया में ठेका कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध रूप से खनन किया जा रहा है। खनन नियमों तथा ठेका शर्तों के उल्लंघन के कई मामले अभी तक सामने आ चुके हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा कोई सख्त कार्यवाही नहीं की गई। रेत खनन से मिलने वाली अच्छी खासी रॉयल्टी के कारण सरकारी खजाने भरे जाते रहे हैं और अभी भी भरे जा रहे हैं।
यही कारण है कि प्रशासन और अधिकारी भी इस अवैध खनन मामलों पर आंख मूंद लेते हैं और यह कारोबार चलता रहता है। इन ठेका कंपनियों को इतना राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है कि अधिकारी इनका ठेका निरस्त करना तो दूर इनके खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया तक शुरू नहीं करते हैं। औपचारिकता के तौर पर कुछ जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है।
बताया जाता है कि जिला खनिज विभाग भी ठेका कंपनियों के खेल में बराबर की भूमिका निभाता है। खनिज विभाग द्वारा रिपोर्ट्स न तो माइनिंग कॉर्पोरेशन को भेजी जाती है न शासन को। शहडोल, अनूपपुर के प्रमुख खनिज सचिव सुखबीर सिंह का भी यही कहना है कि उन्हें इस तरह की कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हो रही है। यदि नियमों का उल्लंघन हो रहा है और अवैध तरीके से खनन किया जा रहा है तो जांच की जाएगी और कार्यवाही की जाएगी।
इस तरह के वक्तव्य हम वर्षों से सुनते आ रहे हैं लेकिन ठेका कंपनी द्वारा यह अवैध खनन लंबे समय से चलता आ रहा है। शहडोल जिले की ही बात करें तो यहां वंशिका कंस्ट्रक्शन ने प्रतिबंधित समय अवधि में खनन कार्य शुरू कर दिया था और प्रशासन द्वारा कुछ मशीनों को जब्त भी किया गया था, लेकिन कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हुई और कुछ जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया।
जिला उमरिया में आरएसआई स्टोन वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भी बिना अनुमति के मशीनों द्वारा खनन किया जा रहा है। इसके खिलाफ भी प्रतिबंधित समय में रेत खनन करने का मामला सामने आया था लेकिन इन पर भी कोई खासी कार्यवाही न हो सकी।
अनूपपुर की बात करें तो यहां भी केजी डेवलपर्स ने स्थानीय डीलर के साथ 3 साल के लिए रेत खनन का अनुबंध किया था लेकिन डीलर द्वारा यह आरोप लगाया गया कि कंपनी ने पैसे भी वसूल कर लिए हैं और रेत खनन भी नहीं करने दिया जा रहा है। इस तरह की और भी मामले मुआवजे, अधिग्रहण आदि को लेकर इस कंपनी पर लगते रहे हैं। लेकिन अभी तक इसका भी लाइसेंस रद्द नहीं किया गया है।
हर अधिकारी और प्रशासनिक विभाग को अवैध रूप से हो रहे खनन कारोबार की जानकारी है, लेकिन रॉयल्टी के चक्कर में सब चुप्पी साध कर बैठ जाते हैं और खनन कारोबारियों के हौसले बुलंद होते जाते हैं। संभाग में हो रही अवैध खनन गतिविधियों पर प्रशासन को कोई सख्त कदम उठाना चाहिए।