धनपुरी के सबसे पुराने शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की इमारत की हालत बद से बदतर होती जा रही है। स्कूल की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि यहां विद्यार्थियों का बैठना किसी जोखिम से कम नहीं है। कभी भी छत से प्लास्टर गिर जाता है, तो कभी सीमेंट उखड़ती हुई दिखती है।
नगर पालिका परिषद द्वारा काफी पहले ही ठेकेदारों से इसकी मरम्मत कराई गई थी, लेकिन मरम्मत के नाम पर ठेकेदारों ने केवल अपनी जेब भरने का काम किया और स्कूल की हालत में कोई सुधार ना हो सका। स्कूल से जिले और प्रदेश के कई नेता, इंजीनियर, और शिक्षक पढकर निकले हैं।
अधिकारी भी स्कूल के इस हाल से अनजान नहीं है। इसके बावजूद स्कूल की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्कूल की स्थिति इतनी खराब है कि प्राचार्य यहां परीक्षा का सेंटर लेने से भी मना कर देते हैं। यह स्कूल 30 साल पहले बनाया गया था। लेकिन मरम्मत न होने के कारण भवन की छत पूरी तरह टूट चुकी है। ढलाई उखड़ गई है और पिलर की राडें दिखने लगी हैं।
यहां पढ़ने वाले बच्चों का कहना है कि जब वे स्कूल में बैठते हैं तो कभी भी छत से प्लास्टर गिरने लगता है। इस कारण बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। यहां तक कि स्कूल में शौचालय की भी अच्छी व्यवस्था नहीं है। न ही बच्चों को मध्यान्ह भोजन दिया जा रहा है। 21वीं सदी में भी स्कूल के बच्चे टाटपट्टी पर बैठकर पढ़ने को मजबूर है।
स्कूल की ऐसी हालत देखकर तरस आता है कि बच्चों का भविष्य किस तरह बर्बाद किया जा रहा है। विद्यालय के मरम्मत की ओर प्रशासन को जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए।