यूं तो देश के प्रधान मंत्री साफ सफाई को लेकर कई योजनाएँ लाते रहते हैं, और साथ ही साथ प्रदेश को भी गंदगी से मुक्त करने की बात करते रहते हैं लेकिन सच्चाई क्या है, यह इस केस में पता लगता है जहां अधिकारियों की लापरवाही फिर एक बार नजर आने लगी है। कोतमा रोड में सोन नदी के पास स्थित नवीन संयुक्त कलक्ट्रेट भवन में अन्य विभागों के साथ- साथ नगर पालिका का उच्च कार्यालय का ऑफिस भी यहीं स्थित है।
जिस कारण डूडा के अधिकारियों का रोज यहाँ से आना जाना लगा रहता है। लेकिन बात कुछ हजम नहीं हो रही कि उनके द्वारा यहाँ फैली हुई गंदगी व कचरे पर नजर क्यूँ नहीं डाली जा रही? और बात सिर्फ इसी एरिया की नहीं है बल्कि पुलिस अधीक्षक निवास के पास भी हाल कुछ ऐसा ही है और इन स्थिति को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि नगर पालिका और अधिकारी अपनी सुध में हैं ही नहीं।
आश्चर्य की बात तो यह है की कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, मुख्य नगर पालिका अधिकारी समेत कई अधिकारी इसी मार्ग से होते हुए अपने अपने कार्यालय में पहुंचते हैं, लेकिन क्यूँ इनकी नजर इस ओर नहीं पड़ती, क्यूँ कोई ध्यान देता हुआ नजर नहीं आता? चिंता का विषय तो है। और ये खरपतवार कुछ दिनों के नहीं हैं बल्कि कई महीनों का लंबा समय बीत जाने पर भी इनकी कटाई नहीं हुई है जिस कारण इन्होंने बड़े बड़े पौधों का रूप धारण कर लिया है और इसी वजह से खतरनाक जीव जंतुओं का खतरा भी मंडरा रहा है। और यह एक कलेक्ट्रट भवन है जिसे साफ सफाई के मामले में पुरुस्कार से सममानित किया गया था।
यह हालत देख के स्पष्ट हो जाता है कि सम्बंधित अधिकारी साफ सफाई को लेकर कितने गंभीर हैं। सुंदरता और लोक संस्कृतियों की जीवंत उकेरी गई कलाकृतियां भी गंदगी में छिपी हुई हैं। इसके चलते नगर व जिला मुख्यालय के साथ साथ जिलेवासियों ने नवीन संयुक्त कलक्ट्रेट भवन के सामने तथा पुलिस अधीक्षक निवास के आसपास इस गंदगी को जल्द से जल्द साफ करने की मांग जताई है। उम्मीद यही होगी कि प्रशासन अपनी नींद से जाग जाए और अपनी आँख खोल के अपने सफर तय करे।