यूं तो देश भर में सरकार और प्रशासन द्वारा पेड़ बचाने की और लगाने की गुहार लगाई जाती है, किंतु जब ये पेड़ बिना सोचे-समझे अपने मतलब के लिए काट दिए जाते हैं, तब उस दौरान सबकी आंखे बंद हो जाती है। सरकार द्वारा पेड़ों को बचाने और लगाने की ढेरों कोशिशें की जा रही है, कड़े कानून भी बनाये जाते है, पर जब यह पेड़ काट दिए जाते है, तब प्रशासन द्वारा कोई सख्त कार्यवाही क्यों नहीं की जाती?
हम बात कर रहे है अनूपपुर जिले की। जिला मुख्यालय के वार्ड क्रमांक 13 में हरे -भरे आम के पेड़ों को काटने के मामले में वन और राजस्व विभाग बिलकुल ही अनजान बने हुए हैं। या तो इन्हे इस मामले की खबर नहीं या तो जानबूझकर ये इस मामले पर चुप्पी साधे हुए बैठे है। मामला पुरानी बस्ती के वार्ड 13 चंदास नदी के ऊपर स्थित शमशान घाट के पास मुख्यमार्ग से लगे हुए आधा दर्जन से ज्यादा आम के पेड़ों को, बिना किसी की परवाह किये काटे जाने का है।
इन पेड़ो से स्थानीय लोगों को ताज़ा आम के फल प्राप्त होते थे, साथ ही इन पेड़ो से शमशान घाट के पास मुख्यमार्ग पर हरियाली भी बनी रहती थी। इतने विशाल पेड़ो को काटे जाने से यहां के लोग बहुत नाराज़ है। उनका कहना है कि इस रास्ते पर रोज़ाना कई पुलिस कर्मियों और अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन किसी ने भी इन विशाल पेड़ो के कत्लेआम की मामले के बारे में कार्यवाही तो दूर, जानना तक भी उचित नहीं समझा।
अगर ये पुलिसवाले रोज़ इसी रास्ते से गुज़रते है, तो क्या ऐसा हो सकता है कि इन्होने इस मामले पर ध्यान ही नहीं दिया होगा? या वो सब देख के भी अनजान बने हुए है और मामले से दूरी बना कर अपना पलड़ा झाड़ रहे है?
वहीं जब वन विभाग के अधिकारियों से इस मामले को लेकर सवाल किये गए तो उनका कहना है कि इस मामले की कार्यवाही उनके अधिकार क्षेत्र से ही बाहर है। जब वन विभाग ही इन पेड़ो की कटाई के मामले से ही अनजान है तो वे कैसे इस तरह के और पेड़ो की रक्षा करेंगे? ग़ौरतलब की बात तो यह भी है कि इस मामले की कोई भी जानकारी राजस्व विभाग को नहीं है, ऐसा उनका कहना है।
वन और राजस्व विभाग और पुलिस प्रशासन का इस गंभीर मामले को लेकर ऐसा रवैया बहुत ही शर्मनाक है। इन पेड़ो को काटने के पीछे का क्या कारण रहा, यह अभी तक पता नहीं चला है।पुलिस और वन विभाग को इस मामले पर सख्त कार्यवाही कर पेड़ काटने वालों पर एक्शन लेने की आवश्यकता है।