अब आखिरकार लोगों की चुप्पी सरकार के सुस्त रवैये से टूटती हुई नजर आने लगी है। हाल ही में निजीकरण और सरकारी फर्मो के निगमीकरण के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ ने विभिन क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के साथ कलेक्टर कार्यालय में काफी जोरों शोरों से नारेबाजी की और निजीकरण का विरोध करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन सौंपते समय भारतीय मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह ने बताया की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने में सरकारी क्षेत्र का सबसे अधिक योगदान रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों की पहुँच निजी कॉम्पनियों के हाथों में देने का निर्णय एक तबाही के रूप में साबित हो सकता है, क्यूंकि एक बार जो चीज सरकार के हाथों से चली गई तो इसको कभी हासिल नहीं कर पाएगी। और इससे सरकार विशाल बुनयादी ढांचे को फिर से स्थापित भी नहीं कर पाएगी, जो देश की सबसे ज्यादा मूल्यवान संपति है।
यह भारतीय मजदूर संघ अपने मजदूर हितों के लिए जाना जाता है, इनके कार्य में से सबसे प्रमुख कार्य सार्वजनिक उपकर्मों के निजीकरण, विनिवेश, रणनीतिक बिक्री, निगमीकरण और संपत्ति मुद्रीकरण को रोकना है। उसके साथ ही साथ श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव पर रोक लगाना है। उन्होंने आगे कहा कि आज की हालत देखते हुए यह पता चलता है कि सरकार निष्पक्ष रूप से काम नहीं कर रही है।
ज्ञापन सौंपते समय भारतीय मजदूर संघ के उपाध्यक्ष, जिलाध्यक्ष, शाखा सचिव के साथ साथ अन्य लोग शामिल रहे। उम्मीद यही जताई जा रही है की सरकार जल्द से जल्द इन मुसीबतों का निराकरण करेगी और लोगों को हो रही मुसीबतों को समझेगी।