कोरोना के कारण कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा ही है लेकिन अब जल प्रदूषण की समस्या के कारण आम नागरिक तरह तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं, जिससे ये बात तो साफ हो जाती है कि नदी की किस प्रकार साफ सफाई की जा रही है और यह काम सिर्फ प्रशासन का नहीं होना चाहिए बल्कि आम जन भी इस ओर कदम बढ़ाएँ और नदियों को साफ सुथरा बनाए रखें।
यह चरण गंगा नदी बांधवगढ़ से निकलकर सोन नदी एवं वालामुखी आश्रम को भी स्पर्श करते हुए निकलती है, यह इतनी पावन नदी है की विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ ताल के कबीरपंथी का एक भव्य मेल भी इसके तट पर लगता है। इस चरण गंगा के जल को लोग घर जा कर सँजो के रखते हैं।
इस अमृत रूपी जल के प्रदूषित होने का कारण बांधवगढ़ नैशनल पार्क में रेसौट मालिक हैं, जो गंदा पानी भरकर कचरा निकासी कर इसे प्रदूषित करते हैं। इसी के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश की पवित्र नर्मदा नदी के संरक्षण को लेकर 144 दिन की यात्रा चलाई गई, जिसके साथ उन्होंने पूरे प्रदेश में नदियों के संरक्षण हेतु कार्य योजना बनाने की बात की।
इसी प्रकार यदि चरण गंगा नदी के संरक्षण को लेकर भी कोई कानून बना दिए जाएँ तो यहाँ पर हो रहे और बढ़ते प्रदूषण को रोका जा सकता है। अवैध उत्खनन को रोकने के लिए भी कुछ किया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण बन जाता है क्यूंकि यह नदी ग्रामीण अंचलों में रहने वाले आदिवासियों के पीने के पानी के साथ सिंचाई सुविधा का मुख्य स्त्रोत है।