दीपावली के त्यौहार पर वायु प्रदूषण के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण का बढ़ना भी एक आम बात है। शहडोल जिले में भी इस साल दिवाली की रात औसत से ज़्यादा ध्वनि प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया। इसका सबसे बुरा असर जानवरों और छोटे बच्चों पर होने की संभावना जताई जा रही है क्योंकि दिवाली के दिन से लेकर रात तक अत्याधिक मात्रा में पटाखें फोड़े जाते है, जो कि जानवरों के लिए सबसे ज़्यादा तकलीफदेह होते हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार नॉइज़ पॉल्यूशन रिकॉर्ड करने के लिए जिले में तीन जोन चिन्हित किए गए हैं। व्यावसायिक क्षेत्र यानि मार्केट एरिया, रिहायशी इलाका और साइलेंस जोन यानि कि हॉस्पिटल और शिक्षा संबंधी संस्थानों के आसपास का इलाका।
जिसमें सबसे ज़्यादा नॉइज़ पॉल्यूशन व्यावसायिक इलाकों में दर्ज किया गया। सामान्य दिनों की तुलना में दिवाली के दिन रात आठ बजे से 12 बजे के बीच सबसे ज्यादा शोर रिकॉर्ड किया गया है। इस अवधि में 53.8 डेसीबल से 94.8 डेसीबल तक ध्वनि प्रदूषण रहा।
सामान्य दिनों में यहां औसतन 60 डेसीबल शोर रहता है, लेकिन दिवाली की रात 72 डेसीबल शोर रिकॉर्ड किया गया। यही स्थिति रिहायशी और साइलेंस जोन की भी रही।
समान्य दिनों में रिहायशी क्षेत्रों में औसतन 53 डेसीबल के आसपास नॉइज़ पॉल्यूशन रहता है, लेकिन दिवाली की रात 66 डेसीबल नॉइज़ पॉल्यूशन रिकॉर्ड किया गया। यह निर्धारित मानक से करीब 20 डेसीबल अधिक है। इसी तरह साइलेंस जोन में भी दिवाली की रात 56 डेसीबल ध्वनि प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया और यह निर्धारित मानक से लगभग 6 डेसीबल अधिक है।