4 साल पहले राष्ट्रीय राजमार्ग 43 के तहत कटनी से चांडिल्य के बीच बनाई जाने वाली 600 किमी की सड़क के लिए कोतमा जनपद के कई किसानों की जमीन अधिगृहित की गई थी। इसमें कोतमा सहित नजदीक के गांव बुढानपुर के कुल 32 किसानों की जमीन अधिगृहित की गई थी, लेकिन अभी तक जमीन अधिग्रहण के बदले इन्हें मुआवजा नहीं दिया गया हैै।
जमीन अधिगृहित हुए 4 साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है और सड़क भी बन कर तैयार हो चुकी है। यहाँ तक कि प्रशासन को इस सड़क के माध्यम से हर साल लाखों रुपए का राजस्व भी मिल रहा है, इसके बावजूद इन 32 किसानों का मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया है।
जानकारी है कि जमीन अधिग्रहण के समय काम कर रहे अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर राजस्व गड़बड़ियां की गईं और इन किसानों की फाइलें भी गुमा दी गई हैं। एसडीएम कार्यालय से मूल दस्तावेज की प्रति खो जाने के कारण फाइलें दोबारा तैयार करके उसके सत्यापन के लिए पहले कलेक्टर ऑफिस, फिर कमिश्नर ऑफिस भेजी गई हैं। लेकिन अभी तक जमीनी तौर पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
पूरी प्रशासनिक प्रक्रिया इतनी धीमी है कि ये किसान 4 साल से अपने मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। जमीन अधिग्रहण के बाद इनके पास रोजगार का भी कोई साधन नहीं बचा है, क्योंकि इस जमीन पर ये खेती किया करते थे उसे प्रशासन द्वारा अधिगृहित कर लिया गया है और वहाँ पर सड़क बना दी गई है। इन्हें रोजगार तो दूर की बात है, अभी तक मुआवजा तक नहीं दिया गया है।
ये बेबस किसान 4 साल से एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय भटक रहे हैं, कई बार शिकायतें दर्ज करा चुके हैं इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। दिखावे के लिए केवल एसडीएम कार्यालय द्वारा तत्कालीन रीडर को फाइल गुमाने के ऐवज में निलंबित कर दिया गया है और कलेक्टर ऑफिस द्वारा भी मुआवज़े के संबंध में एसडीएम कार्यालय से रिपोर्ट मंगवाई गई है। सारी कार्रवाइयों फाइल और दस्तावेजों में ही घूम रही हैं और किसान अपने मुआवजे के लिए परेशान हो रहे हैंं।