कोरोना की दूसरी लहर में सैकड़ों लोगों की जान जाने के बाद प्रशासन को होश आया और देश प्रदेश में जगह जगह ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की जाने लगी। इसी के चलते शहडोल जिला चिकित्सालय के प्राइवेट वार्ड के सामने 1000 लीटर पर मिनट की क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था और 17 सितंबर को प्रभारी मंत्री द्वारा इसका उद्घाटन भी कर दिया गया था लेकिन उस दिन के बाद से यहाँ ऑक्सीजन की सुविधा अभी तक चालू नहीं हो पाई है।
बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन प्लांट की प्योरिटी सर्टिफिकेट के लिए जो सैंपल लिए गए थे उसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई जबकि ऑक्सीजन प्लांट को शुरू हुए लगभग दो महीने बीत चुके हैं। जब तक प्रशासन की ओर से सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं हो पाता है तब तक ऑक्सीजन की सुविधा मरीजों को नहीं मिल पाएंगी।
जहाँ पहला ऑक्सीजन प्लांट अभी पूरी तरह से कार्यरत ही नहीं हो पाया है वही एक दूसरा 570 लीटर पर मिनट की क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट बनाए जाने की भी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। शहडोल जिला चिकित्सालय के परिसर के पीछे इस ऑक्सीजन प्लांट के लिए पहले ही प्लेटफार्म बनकर तैयार किया जा चुका था, लेकिन प्रशासन की ओर से लेटलतीफी किए जाने के कारण मशीनरी उपलब्ध नहीं हो पाई थी।
लेकिन सोमवार को आवश्यक मशीनरी टैंक और अन्य उपकरणों वाहन से उतारकर प्लेटफार्म में लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और उम्मीद है कि यह प्लांट भी जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा। इस दूसरे ऑक्सीजन प्लांट से नए भवन में बनी एसएनसीयू और मैटरनिटी वार्ड को कवर किया जाएगा।
लेकिन सवाल यह है कि पहला ऑपरेशन प्लांट अभी तक शुरू नहीं हो पाया है और दूसरा ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने की तैयारियां शुरू हो चुकी है। प्रशासन और विभागों द्वारा मशीनें तो लगा दी जाती है लेकिन उनके कार्यान्वयन में इतना लंबा समय लग जाता है कि योजना की सार्थकता कम हो जाती है। दो महीने बाद भी ऑक्सीजन प्लांट का शुरू हो पाना इस बात का उदाहरण है। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि पहले पुराने ऑक्सीजन प्लांट को कार्यरत किया जाए फिर दूसरी ऑक्सीजन प्लांट की तैयारियां की जाएं।