मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कारपोरेशन लिमिटेड भोपाल द्वारा नई मिलिंग नीति जारी की गई है। जिसके तहत चावल के बीआरएल यानि कि बियॉन्ड रिजेक्शन लिमिट, मतलब चावल की घटिया गुणवत्ता होने से रिजेक्ट होने पर सम्बंधित मिलर जब तक उसे वापस उठाकर अपग्रेडेशन नहीं करता, तब तक उसे नई धान प्रदान नही की जाएगी। साथ ही इस नीति में अगर किसी भी लॉट के चावल को बीआरएल पाया गया तो मिलर से राज्य की मिलिंग प्रोत्साहन राशि या अपग्रेडेशन राशि की 4 गुना राशि पेनाल्टी के रूप में वसूली जायगी।
लेकिन देखा जाए तो इतने सख्त नियम के बावजूद चावल के मिलरों द्वारा अमानक चावल जमा कर पीडीएस के माध्यम से शासकीय उचित मूल्य की दुकान में भेजा जा रहा है। और लाचार गरीब लोगों को यह अमानक चावल का सेवन करना पड़ रहा है। प्रशासन की नाक के नीचे ऐसे धोखेबाज़ राइस मिलर विभाग के प्रभारी से सांठगांठ कर अमानक और ख़राब चावल गरीबों में बांट रहे हैं, और प्रशासन को इसकी खबर ही नहीं है।
मामला दीपेन्द्र राईस मिल वेंकटनगर का है, जहां मिल संचालक ने धान मिलिंग के बाद अमानक व गुणवत्ता विहीन सीएमआर यानि कस्टम मिल राइस वेयर हाउस सजहा में जमा किया हुआ था। फिर 29 अक्टूबर को चावल की गुणवत्ता जांचने सतना से आई वेयर हाउस की टीम ने दीपेन्द्र राईस मिल के तीन लॉट चावल को एक साथ रिजेक्ट करते हुए 10 दिनों के अंदर उक्त चावल को अपग्रेडेशन करने के निर्देश जारी किए थे।लेकिन दीपेन्द्र केशरवानी राईस मिल के संचालक ने सजहा वेयर हाउस में रखे बीआरएल चावल का अपग्रेडेशन करने की बजाय उसे केन्द्र प्रभारी हर लाल गौर से कथित सांठगांठ कर शासकीय उचित मूल्य की दुकान में पीडीएस के माध्यम से गरीबों में बांटने का धंधा चालू कर रखा है।
सतना वेयर हाउस की टीम ने दीपेन्द्र राईस मिल के संचालक को, सम्बंधित विभाग को ब्लैक लिस्टेड करने को भी कहा था, किंतु जब विभाग ही इस राइस मिल के साथ इस अमानक चावल के वितरण के खेल में मिला हुआ है, तो इस राइस मिल के खिलाफ कार्यवाही कैसे की जायगी?
इस पूरे मामले की खबर जब कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी जैतहरी और प्रभारी प्रबंधक नागरिक आपूर्ति विभाग अनूपपुर को मिली तो उन्होंने दीपेन्द्र राईस मिल और केन्द्र प्रभारी हर लाल गौर पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। उम्मीद है इस मामले की निष्पक्ष जांच की जायगी और आरोपियों पर नियमानुसार कार्यवाही की जायगी।