अनूपपुर के एसईसीएल एरिया में कालरी प्रबंधक की तानाशाही के खिलाफ एसईसीएल महाप्रबंधक कार्यालय के सामने मज़दूरों ने खदान में काम बंद कर विरोध प्रदर्शन किया। दरअसल एसईसीएल के जमुना कोतमा क्षेत्र के अंतर्गत संचालित जमुना भूमिगत खदान के मज़दूरों ने 6 नवंबर को कालरी प्रबंधन और प्रबंधक पर आरोप लगाया कि प्रबंधन और मैनेजर की तानाशाही के कारण खदान में काम प्रभावित हो रहा है क्योंकि खदान में काम करने के लिए जिन उपकरणों की आवश्यकता होती हैं, उन्हें प्रबंधक उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं।
उनका कहना है कि जब खदान में अत्यंत ज़रूरी उपकरण ही उपलब्ध नहीं होंगे तो वह कोयला उत्पादन कैसे करेंगे? इस बारे में कई बार ये मज़दूर खदान के महाप्रबंधक से शिकायत कर चुके हैं, किंतु वे इस शिकायत का निराकरण की बजाय कुछ और ही बात कह रहे हैं। खदान महाप्रबंधक सुधीर कुमार ने पहले तो कहा कि सिर्फ 100 टन कोयले के लिए हम वहां पर नहीं आएंगे आप लोगों को जो करना हैं करते रहिए।
जब महाप्रबंधक ही मजदूरों को उपकरण उपलब्ध नहीं करा पा रहे, तो उत्पादन कैसे होगा। साथ ही कालरी प्रबंधन ये भी चाहता है कि उत्पादन भी समय से पूरा किया जाय। जिससे परेशान हुए मज़दूरों को मजबूरन काम को ही बंद करना पड़ा और अंत में उन्हें प्रदर्शन का ही सहारा लेना पड़ा।
विरोध प्रदर्शन में आक्रोशित मज़दूरों ने क्षेत्र की समस्त खदानों को बंद करने की चेतावनी दी तब कहीं जाकर कालरी प्रबंधन झुका। फिर इस मामले को शांत करते हुए एरिया के महाप्रबंधक संचालन और एरिया निजी अधिकारी ने सब एरिया मैनेजर के ऑफिस में बैठकर चर्चा की और मजदूरों की बातों को मानते हुए सभी उपकरणों को जल्द से जल्द उपलब्ध कराने व मजदूरों को दिए गए नोटिस को तुरंत वापस लेने के साथ-साथ, कामगारों की अन्य मांगों को पूरा करने के लिए 1 सप्ताह का समय मांगा है।
तब जाकर सभी कामगार अपने काम पर लौटने को तैयार हुए। खदान के कामगारों का यह आक्रोश कहीं न कहीं जायज़ है क्योंकि उत्पादन के लिए समस्त उपकरणों को उपलब्ध कराना कालरी प्रबंधन की ही ज़िम्मेदारी बनती हैं। उम्मीद है, भविष्य में इस तरह की समस्या से इन कामगारों को झूंझना नहीं पड़ेगा और अपने हक के लिए इस तरह प्रदर्शन का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।