जिले में मनरेगा के तहत अनेक प्रकार की नई नई योजनाएं लाई जाती है और लाखों करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन पुरानी परियोजनाओं के कार्य को पूरा करने या पुरानी संरचनाओं के नवनिर्माण और मरम्मत की ओर कोई ध्यान नहीं देता है। यही कारण है कि पुरानी संरचनाएँ बर्बाद हो रही हैं।
लेकिन फिलहाल जल संसाधन विभाग द्वारा लिए गए फैसले से इस दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाया गया है।जानकारी है कि जल संसाधन विभाग ने पुरानी जल संरचनाओं के नवनिर्माण और मरम्मत के कार्य को मनरेगा के तहत कराए जाने का फैसला लिया है। इस संबंध में ग्राम पंचायतों में चल रही पुरानी जल संरचनाओं के मरम्मत का कार्य प्रशस्त हो गया है और इसके लिए विभाग द्वारा प्रस्ताव को जिला पंचायत को भेजा गया है।
पुरानी संरचनाओं के मरम्मत के कार्य को मनरेगा के तहत जोड़े जाने के अनेक फायदे बताए जा रहे हैं। इससे जहाँ पुरानी संरचनाओं को पुनर्जीवित किया जा सकेगा वहीं किसानों को भारी मात्रा में लाभ होगा। साथ ही साथ रोजगार के साधन भी उपलब्ध हो सकेंगे। इतना ही नहीं बल्कि नई योजना के तहत लगाया जाने वाला लाखों करोड़ों रुपया भी बच सकेगा और नई योजनाओं के आधे से भी कम पैसे में इन पुरानी संरचनाओं का जीर्णोद्धार हो पाएगा।
शहडोल जिले में अनेकों ऐसी पुरानी जल संरचनाएँ हैं जो प्रशासन की अनदेखी से बर्बाद हो रही हैं। इनमें कई तालाब, नहरें आदि हैं जो जलापूर्ति के लिए बनाई गई थीं, लेकिन रखरखाव और देखभाल न होने के कारण ये बदतर हालत को पहुँच चुकी हैं।
जल संरचनाओं की कमी से वैसे ही ग्रामीण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इस साल की बात करें तो सही मात्रा में सिंचाई न हो पाने की वजह से कई किसानों की धान की फसल बर्बाद हो गई है और आने वाली रबी की फसल पर भी संकट मंडरा रहा है। यदि मनरेगा के तहत पुरानी जल संरचनाओं को पुनर्जीवित किया जाता है तो इससे बहुत फायदा होगा। जहाँ पुराने जल स्रोतों का बचाव हो सकेगा वहीं किसानों को भी सिंचाई साधन उपलब्ध हो सकेंगे।