शहडोल जिले में वॉटरशेड में पदस्थ तकनीकी अधिकारी रविंद्र अग्रवाल द्वारा जिले में निरीक्षण के दौरान इस्तेमाल होने वाले वाहन का निजी सैर के लिए इस्तेमाल किए जाने का मामला सामने आया है। जिला पंचायत के अधिकारियों द्वारा की गई यह मनमानी का कोई पहला मामला नहीं है। लेकिन इस बार तो हद ही हो गई, वॉटरशेड में पदस्थ तकनीकी अधिकारी रविंद्र अग्रवाल ने जिले में सरकारी योजनाओं के निरीक्षण का बहाना बनाकर, यह सरकारी वाहन निजी सैर के लिए का इस्तेमाल कर लिया, किंतु बस यहीं नहीं, सबसे ज़्यादा शर्मनाक बात तो यह है कि इन्होंने एक मृत व्यक्ति को ढाल बनाकर, प्रशासन के पास डीजल की रिकवरी राशि भी अब तक जमा नहीं की है।
दरअसल तकनीकी अधिकारी रविंद्र अग्रवाल ने सरकारी वाहन को निजी सैर के लिए इस्तेमाल किया, जिसकी लॉकबुक इन्होंने सतानंद से भरवा दी जिसे वाहन सुविधा को इस्तेमाल करने का हक नहीं दिया गया है। सतानंद की मृत्यु पिछले कोरोना काल में हो चुकी है और अब तकनीकी विशेषज्ञ रविंद्र अग्रवाल उसी को ढाल बनाकर इस्तेमाल हुए डीजल की रिकवरी की राशि भी जमा करने से बच रहे हैं।
इस मामले पर रविंद्र अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने वाहन को सिर्फ जिले में ही चलाया है।और जब इस मामले में तकनीकी विशेषज्ञ के नाम रिकवरी निकाली गई है, उसमें दो दिन में वाहन 680 किलोमीटर चलाया गया है, लेकिन गौरतलब बात यह है कि जिले की सीमा इतनी बड़ी नहीं है कि दो दिनों में 680 किलोमीटर चला जा सके। लेकिन ऐसा पता चला है कि तकनीकी विशेषज्ञ सरकारी वाहन लेकर अपने गृह ग्राम छतरपुर गये हुए थे, उसी में 680 किलोमीटर वाहन चलाया गया है।
जिला पंचायत सीईओ पार्थ जायसवाल द्वारा अक्टूबर 2020 में तकनीकी विशेषज्ञ रविंद्र अग्रवाल को वाहन में अधिक डीजल इस्तेमाल करने पर रिकवरी राशि जमा करने के लिए दो बार नोटिस भेजा गया लेकिन रविंद्र अग्रवाल ने कथित राशि जमा नहीं करवाई। जिसके बाद उन्हें लेखाधिकारी ने जनवरी 2021 में दोबारा रिमाइंडर भेजा, लेकिन रविंद्र अग्रवाल पर फिर भी कोई असर नहीं पड़ा। अब 9 महीने बाद सीईओ मेहताब सिंह ने 24 सितंबर को रिमाइंडर भेजकर तकनीकी विशेषज्ञ से 5,000 रूपए की राशि वसूलने का नोटिस जारी किया है।
पहले तो रविंद्र अग्रवाल ने सतानंद से फर्जी तरीके से लॉकबुक में एंट्री करा कर सरकारी वाहन को खुद के काम के लिए इस्तेमाल किया, फिर सतानंद की मृत्यु के बाद अब वह उसे ढाल बनाकर वाहन में इस्तेमाल हुए डीजल की रिकवरी राशि जमा करने से भी बच रहे है, यह एक बहुत ही शर्मनाक बात है। अब वक्त है कि प्रशासन सख्त बने और तकनीकी विशेषज्ञ रविंद्र अग्रवाल द्वारा किये गए इस फर्जीवाड़े की निष्पक्ष जांच करें।