अनुपपुर जिले की जैतहरी नगर पालिका किसी समय तालाबों के शहर के नाम से मशहूर थी। जैतहरी नगर पालिका परिषद के तहत 15 तालाब आते थे लेकिन बदलते समय के साथ इन तालाबों के अस्तित्व पर भी संकट मंडराने लगा है।
गिरता भूजल स्तर, जलवायु परिवर्तन, अतिक्रमण, प्रदूषण इन सारी समस्याओं से जैतहरी के तालाब दो चार हो रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या तो अतिक्रमण की है। लगातार बढ़ती आबादी का दबाव इन तालाबों पर भी पड़ रहा है। तालाबों को पाटकर यहाँ इमारतें और ढांचे बनाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि सारे शहर की नालियों का गंदा पानी इन तालाबों में छोड़ा जा रहा है इस कारण तालाब प्रदूषित हो रहे हैं। इनके उपयोग का पानी गंदा हो रहा है।
नर्मदा सेवा यात्रा समापन के कार्यक्रम में खुद प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक जलस्रोतो, तालाबों और नदियों को प्रदूषण मुक्त और अतिक्रमण मुक्त रखने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद नियमों की अनदेखी हो रही है और इन तालाबों की बर्बादी जारी है।
ये तालाब किसी समय लोगों के पेयजल और बाकी आवश्यकताओं को पूरा किया करते थे। पशु यहाँ पानी पिया करते थे। इसी पानी का उपयोग सिंचाई के लिए व अन्य कामों के लिए होता था लेकिन बदलते समय के साथ सब कुछ बदल गया और तालाबों का महत्व कम हो गया।
जैतहरी के लगभग हर तालाब का यही हाल है। चाहे वो बस स्टैंड तालाब हो, देवरिया तालाब हो, छकोडी तालाब हो सभी अतिक्रमण और प्रदूषण की समस्या झेल रहे हैं। शहर में प्रवेश करते ही एक बड़ा तालाब हुआ करता था लेकिन अब उस जमीन पर बस स्टैंड निर्माण कर दिया गया है और यह बड़ा तलाब छोटी सी तलैया में बदलकर रह गया हैै।
तालाबों पर मंडराते खतरे को लेकर कई बार नगर पालिका से शिकायत की गई है। यहाँ तक कि जैतहरी के एसडीएम विजय डेहरिया को भी इस संबंध में अवगत कराया गया है, लेकिन दिशा निर्देश के बाद भी नगरपालिका कोई एक्शन नहीं ले रहा है। परिणाम यह है कि तालाब और सिकुड़ते जा रहे हैं। इन तालाबों और प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।