सरकार द्वारा शहरी इलाकों में हर घर तक पेयजल की उपलब्धता बहाल करने के लिए नल जल योजना की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत ओवरहेड टैंक, वाटर फिल्टर प्लांट और पाइप लाइन बिछाए जाने का काम किया जाना था।
इस योजना के तहत कोतमा शहर में भी में हर घर तक पाइप लाइन बिछाने का काम चंद्रा निर्माण कंपनी को सौंपा गया था। यह पूरा काम 2019 तक खत्म किया जाना था लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के 2 साल बाद भी पूरी योजना कार्यान्वित नहीं हो सकी है।
ठेकेदारों और अधिकारियों की लापरवाही व लेटलतीफी का नुकसान आम आदमी को झेलना पड़ रहा है। कोतमा की नल जल योजना के तहत लगभग 16 करोड़ रूपए का बजट तय किया गया था। इतनी भारी भरकम राशि के बाद भी अभी तक काम पूरा नहीं हो पाया है और जो काम किया गया है उसमें इतनी खामियां नजर आ रही है कि लोगों को सुविधा होने की बजाय परेशानियां होने लगी हैं।
बताया जा रहा है कि जो पाइपलाइन बिछाई गई है वो इतना घटिया क्वालिटी है कि सालभर के अंदर ही जगह जगह लीकेज सामने आ रहा है और हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। इतना ही नहीं बल्कि ओवरहेड टैंक में भी जगह जगह लीकेज की खबरें सामने आ रही हैं।
कोतमा शहर में एक से लेकर 15 वार्ड संख्या तक ये पाइप लाइन बिछाई जानी थी लेकिन खबर यह है कि अभी तक केवल एक से लेकर 10 नंबर तक की पाइपलाइन बिछाई गई है और जहाँ पाइप लाइन बिछाई गई है वहाँ भी लीकेज की समस्या सामने आ रही है।
योजना की ऐसी हालत देखकर जब स्थानीय लोगों द्वारा नगर पालिका से शिकायत की गई तो नगर पालिका ने भी दिखावे के तौर पर कंपनी से पत्राचार किया और कार्य पूरे किए जाने का निर्देश दिया। उत्तर में कंपनी द्वारा छह महीने के भीतर कार्य किए जाने का हवाला दिया गया और अड़तालीस किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने की रिपोर्ट सौंप दी गई। साथ ही साथ यह भी कहा गया कि लगभग 1700 मकानों को नल कनेक्शन दिया जा चुका है।
अधिकारियों की अनदेखी और कंपनी की लापरवाही का नतीजा यह है कि लोगों को दूर दराज के इलाकों से पानी का बंदोबस्त करना पड़ रहा है इन परिस्थितियों में जल्द ही बदलाव की जरूरत है।