उमरिया नगर पालिका की कुल आबादी लगभग 40,000 से भी ज्यादा है। इतनी बड़ी आबादी द्वारा प्रतिदिन 15 टन से भी ज्यादा कचरा निकाला जाता है। इस कचरे में प्रमुख रूप से प्लास्टिक और पॉलीथीन होता है जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है ।
प्लास्टिक आसानी से डिकंपोज नहीं होता है। इसी को देखते हुए 2017 में सरकार द्वारा सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगा दिया गया था और प्लास्टिक बैग की जगह पेपर या कपड़े के बैग इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी। इसके बावजूद हम देखते हैं कि प्लास्टिक के बैग धड़ल्ले से बाजार में बिक रहे हैं और लोग प्रतिदिन इनका इस्तेमाल कर रहे हैं।
उमरिया नगर पालिका की ही बात करें तो यहाँ से निकलने वाला 15 टन से भी ज्यादा यह कचरा प्रमुख रूप से तीन इलाकों धावढ़ा कॉलोनी, खलेशर व चपहा जमुनिया में बगैर किसी वैज्ञानिक पद्धति के डंप किया जा रहा है।
प्लास्टिक का कचरा हर तरह से नुकसानदेह है। जमीन में मिलकर यह जमीन की उर्वरक क्षमता को कम करता है, वही वाटर रिचार्ज में भी कमी लाता है। प्लास्टिक को कभी कभार जानवर भी खा लेते हैं और बीमार पड़ जाते हैं। कई बार तो जीव जंतुओं की प्लास्टिक से मौत भी हो जाती है। प्लास्टिक को जलाने पर भी इससे निकलने वाली हानिकारक गैसें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं।
उमरिया नगर पालिका द्वारा इस कचरे के संग्रहण के लिए पहले आठ से दस वाहन लगाए गए थे लेकिन अब उनमें भी कमी कर दी गई है। आंकड़े बताते हैं कि नगरपालिका के कुल मकानों में से लगभग 60 फीसदी से ही कचरा इकट्ठा किया जा रहा है और उसे अवैज्ञानिक पद्धति से डंप किया जा रहा है।
इतनी बड़ी मात्रा में कचरे के निष्पादन के लिए न हीं ईटीपी मशीन का बंदोबस्त है ना ही कोई अन्य संयंत्र लगाया गया है। नगरपालिका द्वारा कचरे को रिसाइकल करने और इसे सही तरीके से निष्पादित करने के इंतजाम किए जाने चाहिए वरना इसका नुकसान पर्यावरण और जीव जंतुओं सहित हर किसी को भुगतना होगा।