कृषि कानून वापस ले लेने की घोषणा के बाद भी किसानों का आंदोलन थमा नही है। रविवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए किसानो ने यह घोषणा की कि जब तक संसंद में कानून रध नहीं हो जाते और बाकी मामलों में बातचीत नहीं हो जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इसके चलते किसानों ने यह भी कहा की संयुक्त किसान मोर्चे की लखनऊ में महापंचायत भी होगी।
इसके चलते किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल कहते हैं की वो अपनी लंबित मांगों को लेकर प्रधान मंत्री मोदी को एक ओपन लेटर लिखेंगे जिसमे वो एमएसपी, विधुत विधेयक 2020 रध करने, किसानों पर दर्ज मामलों की वापसी और लखीमपुर खीरी मामले में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त करने जैसी मांगे शामिल होंगी। और जब तक इन मांगों को पूरा नही किया जाता तब तक आंदोलन बंद नहीं होगा।
26 नवंबर को आंदोलन को एक वर्ष पूर्ण होगा इसी दिन सभी मोर्चों पर प्रदर्शन होगा।
अब अनुमान यह लगाया जा रहा है की बुधवार को होने वाली केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में तीनों कृषि कानूनों की वापसी के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। दो दिन पहले प्रधान मंत्री मोदी द्वारा इन कानूनों को देश को संबोधित करते हुए वापस ले लिए गया था। और यह भी कहा था की संसद की शीतकालीन सत्र में इसकी संवेधानिक प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी। नियोनतंम समर्थन मूल्य के लिए नए ढांचे पर काम करने के लिए एक समिति बनाने का भरोसा भी दिलाया।