स्तिथि किस प्रकार और कितने जल्दी बदल सकती है, इसका जायजा धनपुरी का कोयलांचल क्षेत्र को देखते हुए लगाया जा सकता है। कुछ समय पहले कोयलांचल, काँग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन लगभग दो दशकों बाद यहाँ न तो बूढ़ार और न ही धनपुरी निकायों में काँग्रेस को जीत मिली और न ही विधानसभा व लोकसभा चुनावों में ही काँग्रेस बढ़त बना सकी। इनका कारण या तो कॉंग्रेसियों का हृदय परिवर्तन बताया जा रहा है या फिर कुछ ने जुगाड़ के फेर में कैसरिया चोला पहनकर काँग्रेस के झूठे प्रचार में लगे रहे।
काँग्रेस पार्टी की यह गुटबाजी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के जन्मदिवस पर एक बार फिर बैनरों पर स्पष्ट नजर आई। कुछ समय से काँग्रेस के सता में आने के बाद धनपुरी नगरपालिका में प्रशासनिक समिति नौमीनेट की गई थी, उक्त नौमीनेशन के दौरान भी की कॉंग्रेसियों को किनारे किया गया, जिसके चलते खुलकर असंतोष जताया गया था, लेकिन बीते कुछ महीनों में प्रशासनिक समिति वाले खेमे में भी गुटबाजी अंदर ही अंदर पनप रही थी। और यही गुटबाजी पूर्व मुख्यमंत्री के जनमदिन पर खुलकर सामने आ गई।
प्रशासनिक समिति में अध्यक्ष बनाए गए मुबारक मास्टर जो पूर्व में भी काँग्रेस की टिकट पर धनपुरी नपा के अध्यक्ष बने थे, अब नए गुट में उन्हे भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है। कल तक हर मोर्चे और पोस्टर में इबरार खान व अन्य काँग्रेस नेताओं के साथ नजर आने वाले मुबारक मास्टर इस बार बिल्कुल अलग थलग नजर आए। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के जनमदिन पर आयोजित कार्यक्रमों और बैनर पोस्टर केवल कोयलांचल तक ही सीमित रहे, अनुपपुर और उमरिया में कहीं भी कमलनाथ के जन्मदिवस पर कार्यक्रम या बैनर पोस्टर अधिक मात्रा में नजर नही आए।