शहडोल जिले में हाल ही में लोकल पत्रकारों और कांग्रेसिय राजनीतिज्ञों के बीच एक बेहेस-सी खड़ी हो गई है।दरअसल हाल ही में ऐसी खबर सामने आई थी कि नशीले पदार्थों के अवैध सप्लाई करते हुए कांग्रेस के पार्षद के बेटे को पुलिस रंगे हाथों पकड़ते-पकड़ते रह गई और अभी भी उसके खिलाफ पुलिस की तलाश जारी है। इनका ये भी कहना है कि कांग्रेस के पार्षद के बेटे को पार्षद ने ही अपने साथी नेताओं के घर छुपा रखा है।
किंतु सवाल ये है कि इस खबर में मुजरिम के पिता की पोजीशन को ही बार-बार क्यों टारगेट किया जा रहा है? कानून की नज़र में जब सभी एक समान है, तो इस बात का ढिंढोरा क्यों इतनी तेज़ी से पीटा जा रहा है? प्रदेश भर में रोज़ाना सैकड़ो अवैध नशीले पदार्थों के धंधे की खबरें सामने आती है, जिन्हें पुलिस द्वारा पकड़ा जाता है। पर अगर ये खबर उस मुजरिम के अपराध के बारे में जनता को सूचित करने के माध्यम से लिखी जा रही है तो इसमें राजनीतिक दलों के सदस्यों को बीच में क्यों घसीटा जा रहा है। तो इन खबरों से क्या समझा जाए, कि ये खबरें मुजरिम के अपराध के बारे में बता रही है या किसी राजनीतिक दल के खिलाफ लोगों के मन में जहर घोल रही है?
हाल ही में देवांता अस्पताल के केस में भी पत्रकारों द्वारा अस्पताल के एहम मुद्दों के अलावा, इन खबरों का मुख्य उद्देश्य कांग्रेस पार्टी के नेता के खिलाफ बुनियादी बातें लिखना ही साफ दर्शा रहा था। क्योंकि देवांता अस्पताल के मालिक के भाई कांग्रेस पार्टी के नेता है। जिसका देवांता अस्पताल के केस से कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी उनके खिलाफ शायद कई मनघड़त बातें लिखी जा रही थी, जिसके सच होने के कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
सूत्रों की माने तो इस खबर के चलते कांग्रेस राजनीतिज्ञ ने इन पत्रकारों के खिलाफ एक मोर्चा शुरू करने का निर्णय लिया, और इनके खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया। जिसकी बैठक 20 नवंबर 2021, शनिवार की शाम 6 बजे आयोजित की गई। इस बैठक में कांग्रेस राजनीतिज्ञ व समाजसेवी का आरोप है कि जिले के कुछ लोकल पत्रकार पूरी तरह से पत्रकारिता में योग्य न होने के बावजूद, सारे जिले में अपनी मनमानी करते हुए कोई भी मनगढ़त कहानी अखबारों में छापते हैं और कई बार बात को बढ़ा-चढ़ा कर लिखते हैं, जिसमें इनका प्रमुख निशाना कांग्रेस पार्टी है।
भले ही वो देवांता अस्पताल प्रबंधन की कोई लापरवाही का मामला हो, या कोई नशीली दवाओं की तस्करी का केस, ले-देकर सारी बात कांग्रेस पार्टी के नेताओं को गलत दिशा में ही दिखने पर आकर क्यों खत्म हो जाती है। अगर कांग्रेस पार्षद के बेटे ने नशीली दवाओं की सप्लाई का अपराध किया है, तो इसमें उसके पिता की तस्वीर क्यों उछाली जा रही है?
ऐसे प्रकरणों की जांच का काम पुलिस विभाग का है, तो पुलिस विभाग को ही इस मामले की निष्पक्ष जांच कर आरोपित के खिलाफ कार्यवाई करनी चाहिए। न कि आरोपित के परिजनों को इस तरह से बदनाम करना चाहिए।और मीडिया ट्रायल का मज़ा लेने वालो को भी ध्यान रखना चाहिए, फिर चाहे वो आर्यन खान का मामला हो या फिर कांग्रेस पार्षद के बेटे का। इन सारे केसेस में कहीं पे निघाएं और कहीं पे निशाना होता है, पर जनता सब जानती है।