स्वास्थ, एक ऐसी व्यवस्था जो हर एक नागरिक की मूल भूत सुविधा होती है, लेकिन जब वही चरमरा जाए तो फिर क्या ही कहना। आज बात सिर्फ एक जगह की नही हो रही बल्कि हर दूसरे नगर की, गिनवाने के लिए कोतमा, बिजुरी, जमुना, बदरा और भालूमाड़ा। इन नगरों में झोलाछाप डॉक्टरों के अवैध क्लिनिक का धंधा तेजी से फल फूल रहा है। बिना कोई डिग्री के यह डॉक्टर, लोगों का इलाज जादुई इन्जेक्शन लगा कर रहे हैं।
अब यदि जादुई इन्जेक्शन लोगों को लग रही है, तो बात तो आवश्यक है की इसका कोई न कोई असर तो जरूर होगा, और ये बात तय है की कोई अच्छा परिणाम तो होगा नही। इन जादुई इंजेक्शनों और दवाइयों से मरीजों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
यह झोलाछाप डॉक्टरों का आंकड़ा कोई कम नहीं है बल्कि ग्रामीण अंचल में लगभग 3 दर्जन से भी अधिक फर्जी डॉक्टरों ने अवैध क्लिनिक का संचालन कर रखा है। चाहे वो मर्ज छोटा हो या बडा हर मर्ज की दवाई इन क्लीनिकों में उपलब्ध हो जाती है । बड़ी रकम लेकर इलाज भी कर दिया जाता है। यह गंभीर बीमारियों का इलाज भी कर देते हैं जैसे बाबसीर, हाइड्रॉसील, फिशर के साथ किडनी और पथरी। इतनी गंभीर बीमारियों का इलाज वो भी बिना किसी डिग्री के, जो की एक बहुत संगीन विषय बन चुका है। मरीजों के साथ उनकी ज़िंदगी से खेला जा रहा है, उनसे ठगी की जा रही है।
और यही नहीं बल्कि यह झोलाछाप डॉक्टर इतने पहुंचे हुए हैं की, गलत दवाई दे देने के बाद मरीजों की हालत देख फिर भी कहीं अंत में जा कर के हॉस्पिटल जाने की सलाह दे देते हैं। यह झोलाछाप डॉक्टर वर्षों से ग्रामीण अंचल क्षेत्र के भोले भाले आदिवासियों का दोहन करते चले आ रहे हैं। सोचने वाली बात तो यह है की पूर्व में लॉकडाउन के चलते कोतमा में एक झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज के कारण युवक की मौत हो गई थी, जिस पर स्वास्थ विभाग द्वारा जांच की जा रही है वहीं गलत इलाज करने वाले डॉक्टर का क्लिनिक भी सील कर दिया गया।
यह कार्यवाही केवल दिखावे की मालूम पड़ती है। अब देखना यह है की क्या फिर किसी युवक की जान जाने का इंतज़ार स्वास्थ विभाग कर रहा है, या कोई सख्त कारवाही करने की मंशा भी जता रहा है।