पाँच साल होने को है लेकिन बांध निर्माण का काम शुरू ही नही हो पा रहा था, और इसका कारण प्रशासन और ग्रामीणों में एक सहमति न होना बताया जा रहा है। आखिर कार बेहद गहमा गहमी के बीच यह काम प्रारंभ हुआ। प्रशासन को इसकी भनक पहले से लग गई थी की इस विषय को लेकर विरोध जताए जाएंगे, इसलिए इन परिस्थितियों को देखते हुए प्रशासन तगड़ी तैयारी के साथ मैदान में उतरा था।
पुलिस बलों की तैनाती हर जगह तैनात नजर आया, इसी दौरान कुछ महिलाओं के समूह के साथ ग्रामीणों ने फिर जमीन के बदले जमीन की मांग दोहराई, जिसको देख कर मौजूद जल संसाधन के अफसर, एडीएम व अडिश्नल एसपी ने मोर्चा संभालते हुए प्रदर्शन शांत करवाया। मामला यहीं शांत नही हो गया बल्कि शाम होते ही भीड़ को उकसाने व कानून व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में आठ ग्रामीणों पर प्रतिबंधात्मक धार 151 के तहत कार्यवाही की गई है।
यह बांध का निर्माण पाँच गाँव को सिंचाई के साथ ही अन्य जीविकोपार्जन व पेयजल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। जुलाई माह मे, इसी वर्ष कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव अलग-अलग दौरा कर ग्रामीणों से सीधी बात कर चुके हैं। उन्होंने स्वयं हर भू-धारक से बात की है। और यह आश्वासन भी दिलाया गया की उनको समय पर मुआवजा भी प्रदान किया जाएगा।
जैसे ही प्रशासन की गाड़ी गांवों में प्रवेश करती है, वैसे ही महिलाओं का विरोध अपनी चरम सीमा पर चला जाता है, जिसे देख कर महिला पुलिस फोर्स को बुलाना पड़ा।
यह निर्माण कार्य बेहद आवश्यक है क्योंकि इन पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात के अलावा गर्मियों में पेयजल की भारी किल्लत होती है। जिसके कारण खेती का काम किसानों द्वारा नही हो पाता।
अब कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जहां आम जन समझने में सफल नही हो पाता है, यहाँ प्रशासन को अधिक से अधिक लोगों को इसकी जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता होनी चाहिए।