अनूपपुर के पुलिस विभाग ने नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए अभियान शुरू कर रखा है, किंतु इनके द्वारा यह अभियान अब आमजन के लिए दिन पर दिन मुसीबतों का पहाड़ बनता चला जा रहा है। या यूँ कहें कि इन्होंने नशीले पदार्थों की तस्करी कम करने की जगह अपनी जेब भारी करने का अभियान चला रखा है।
दरअसल पुलिस कप्तान ने इन यातायात पुलिस कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि जिले में संदेहित वाहनों की जांच की जानी चाहिए, ताकि नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले अपराधियों को पकड़ा जा सके। किंतु इन पुलिस कर्मचारियों ने तो इसे कप्तान की तरफ से हर किसी वाहन की जांच कर पैसे वसूलने की ही छूट मान ली है।
जिला वासियों का कहना है कि ये रोज़ाना हर छोटे-बड़े वाहनों की कथित तौर से जांच करते हैं और वाहनों में कोई न कोई कमी निकालकर, वाहन चालकों को सख्त कार्यवाई की धमकी देकर जुर्माने के नाम उनसे बहुत पैसा वसूलते हैं।इस कारण से यहां वाहन चालक आने से बचते हैं और ज़्यादातर मंगठार की सड़क से आवागमन करते हैं।
लोगों का ये भी कहना है कि ये हाल सिर्फ अनूपपुर जिले का ही नहीं बल्कि शहडोल जिले की यातायात पुलिस का भी है। पहले ये लोग ओवरलोडेड वाहनों की खबरें छापकर वाहन चालकों से पैसा वसूला करते थे, किंतु जब से वाहन चालकों ने इस समस्या में सुधार लाया है, तब से इनका छोटे वाहनों के मालिकों से चालान के नाम पर मोटा पैसा वसूलने का खेल जारी है।
इस कारण से बाज़ार में मंदी आ गई है, क्योंकि जो दुकानदार अपना सामान बाज़ार लाते हैं, उनसे भी पुलिस जांच के नाम पर कमियां निकालकर कार्यवाई की चेतावनी देती है, जिससे वाहन चालकों को उन्हें चालान का पैसा देकर शांत कराना पड़ता है। अनूपपुर की सीमा में एक चालान काटा जाता हैं फिर जिला मुख्यालय अनूपपुर पहुंचे तो दोबारा चालान काटा जाता हैं। जबकि पुलिस को ये भी बताया जाता है कि जिले में प्रवेश के दौरान चालान काटा जा चुका है।लेकिन फिर भी यातायात विभाग के लोग इसे नहीं मानते।
नशीले पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए पुलिस विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयास अत्यंत सराहनीय हैं, किंतु कुछ पुलिस कर्मचारियों द्वारा इसे अपनी जेब भारी करने का जरिया बनाकर मासूम लोगों को परेशान करना किसी भी मायने में उचित नहीं है। ऐसे पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए, ताकि आमजन को मुसीबतों का सामना न करना पड़े।