जिला वासियों की शिकायतों और उसके निराकरण के लिए सरकार द्वारा सीएम हेल्पलाइन चालू की गई थी, किंतु बहुत समय से यहां अब सैकड़ो शिकायतें लंबित हैं और विभागीय अधिकारी, इनका निराकरण तो दूर, इन्हें देख तक नहीं रहे हैं। जिले में विभिन्न विभागों की लगभग 300 से ज़्यादा शिकायतें नॉन-अटेंडेंट हैं, फिर भी संबंधित अधिकारियों को इनकी कोई चिंता नहीं है।
इनके काम के लिए सरकार द्वारा अच्छी-खासी रकम इन्हें बतौर वेतन दी जाती है, किंतु अपने आलस भरे रवैये के कारण यह इनका निराकरण नहीं करते है, जिससे जिला वासियों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, और बार-बार अपनी शिकायत के निराकरण हेतु जिला प्रशासन के मुख्य कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
इन लंबित शिकायतों में सबसे ज़्यादा 67 शिकायतें बिजली विभाग की है, फिर 40 स्वास्थ्य विभाग की, 37 पंचायत और ग्रामीण विकास की, व खनिज साधन विभाग, श्रम विभाग, खाद्य विभाग और वन विभाग की भी शिकायतें हैं, जो अभी तक अटेंड नहीं की गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिजली विभाग को बिजली बंद होने व ट्रांसफार्मर ख़राब होने से संबंधित कई शिकायतें आई हुई है, किंतु संबंधित अधिकारियों द्वारा यह अभी तक देखी भी नहीं गई है। ऐसा भी मालूम हुआ है कि बिजली विभाग के अधिकारियों की इस लापरवाही पर विद्युत केंद्र द्वारा 42 नॉन-अटेंडेंट शिकायतों पर 200 रूपए प्रति शिकायत के हिसाब से 8400 रूपए का जुर्माना लगाया है।
इसके अलावा भी जिले के विभिन्न अधिकारियों पर सम्बंधित विभाग के उच्चाधकारियों द्वारा प्रत्येक शिकायतों के अनुसार जुर्माना लगाया गया है, ताकि इन अधिकारियों द्वारा भविष्य में इस तरह का स्वाभाव देखने को न मिले।
विभागीय लापरवाही के कारण शिकायतों के निराकरण में प्रदेश स्तर पर जिले की ग्रेडिंग लगातार गिर रही है। इस महीने पिछले महीने की तुलना में निराकरण प्रतिशत काफी कम रहा है। इसके चलते प्रथम श्रेणी के 26 जिलों में शहडोल 13वें स्थान पर रहा। पिछले एक महीने में शिकायतों के निराकरण का प्रतिशत 35 से 60 फीसदी के बीच रहा है, जो कि विभागवार ग्रेडिंग में डी की श्रेणी में आता है।
उपरोक्त सभी विभागों का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। इसके चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 29 नवंबर को कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस में सीएम हेल्पलाइन में लंबित शिकायतों की समीक्षा करेंगे।