दिखाने के लिए चोराहों पर इलेक्ट्रिक सिगनल की व्यवस्था लागू तो कर ली गई है लेकिन जब उसके उनुरूप व्यवस्था लागू करने की बात आती है तो प्रशासन पीछे हटती हुई नजर आती है। शहर के किसी भी चोराहे में लेफ्ट टर्न का पता ही नही है। जहां नजर फेर दो वहाँ अतिक्रमण ही अतिक्रमण देखने को मिलता है। जिन लोगों को बाएँ ओर जाना है उनको भी सिगनल के हरे होने का इंतज़ार करना पड़ता है। इसी वजह से हर समय जाम की स्तिथि बनती रहती है।
इन व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी नगरपालिका प्रशासन का है लेकीन इनका काम केवल कागजों तक ही सीमित होकर रह गए हैं। अतिक्रमण हटाना तो दूर की बात है यहाँ तो जेब्रा क्रॉसिंग भी नही बनाया गया है। अपनी मर्जी से सिगनल के पास वाहन अपनी मर्जी से खड़े होते हैं।
इन चौराहों में से इंदिरा चोक में सबसे अधिक मात्र में अव्यवस्था देखी जा सकती है। कहने को तो चोक है लेकिन यहाँ पाँच दिशाओं की ओर से सड़क आकर मिलती है। वाहनों के जमावड़ा की तो बात न ही की जाए तो बेहतर। सबसे ज्यादा परेशानी लेफ्ट टर्न को लेकर के आती है।
अब ऐसी हालातों में प्रशासन सामने निकल कर के नही आएगी तो आखिरकार कब आएगी? अब कोई दुर्घटना हो जाती है इसके चलते , तो क्या प्रशासन इसकी ज़िमीदारी लेगी? क्या प्रशासन लोगों की जरा भी सोचेगी ? क्या प्रशासन को लोगों से कोई मतलब नही? इन सब का उतर नही ही मालूम होता है। प्रशासन का यह रवीए को जल्द से जल्द बदलने की जरूरत है।
और जब इसके चलते नगरपालिका अध्यक्ष से बात की गई तो कहतीं हैं की इस दिशा पर जल्द से जल्द काम होगा।
ऐसे समय में लोगों को भी समझदारी से काम लेने की जरूरत है, जितना हो सके उतना कम प्राइवेट वाहनों का इस्तेमाल करें, पब्लिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए।