बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में वन्य प्राणियों के लिए दिन पर दिन खतरा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि प्रशासन को उमरिया जिले में हो रहे अवैध रेत उत्खनन के बारे में कोई चिंता नहीं है। दरअसल उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में बहुत समय से प्रशासन के नाक के नीचे रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन का खेल चालू है, किंतु प्रशासन इस बारे में कोई सख्त कदम नहीं उठा रहा है।
ग्रामीणों ने भी कई बार प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया है और शिकायतें भी की हैं कि कथित अवैध रेत उत्खनन पर सख्त कार्यवाई करते हुए रोक लगाई जाए, साथ ही कटनी जिले से लगा हुआ विस्टा सेल्स का ठेका भी निरस्त किया जाए।
इस कंपनी द्वारा उमरिया की सीमा और बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र में गांव जाजागढ़ में भंडार नदी में बड़ी-बड़ी-मशीने लगाकर दिन-रात रेत का अवैध उत्खनन और बाद में उसका परिवहन किया जाता है। उत्खनन में इस्तेमाल की गई मशीनें और परिवहन के लिए वाहनों द्वारा नदी के पास आवागमन के कारण यहां की वनस्पतियां और किसानों की फसलें नष्ट हो गई है। टाइगर रिज़र्व के वन्यजीवों का स्थल भी अब उनके लिए खाली नहीं रहा। साथ ही मवेशियों के लिए पानी पीने के लिए नदी में भी साफ पानी नहीं बचा है।
अपने स्वार्थ के लिए इन लोगों ने समस्त वन्यजीव, वनस्पतियां और पर्यावरण को खतरे में डाल दिया है। यहां की नदियां भी गंदी हो गई है, और अब इसका पानी जानवरों के लिए खतरनाक बन गया है।
ग्रामीणों की मांग है कि उक्त कंपनी पर कड़ी से कड़ी कार्यवाई की जाए और उससे अवैध उत्खनन की राशि भी वसूली जाए, ताकि जो-जो नुकसान ग्रामीणों को इनके कारण झेलने पड़े हैं, उनका थोड़ा-बहुत ही भुगतान किया जा सके। किंतु इस पर उमरिया जिले के कलेक्टर ने कहा कि जाजागढ़ रेत खदान उमरिया जिले की राजस्व सीमा में शामिल नहीं है, और उनके द्वारा इस मामले पर कार्यवाई नहीं की जा सकती।
अगर जिला कलेक्टर नहीं, तो प्रदेश के मुख्यमंत्री को ही आगे आकर इस क्षेत्र के ग्रामीणों की मदद करनी होगी, वरना तो उक्त कंपनी द्वारा ये अवैध रेत उत्खनन और परिवहन का धंधा चलता रहेगा, और ये बेपरवा हो कर पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाते रहेंगे।