जनजातीय कार्य विभाग के माध्यम से संचालित सैकड़ा भर अलग अलग नामों से संचालित छात्रावासों का हर दूसरे व्यक्ति को एक चस्का सा, लत सी लग गई है। जिले भर में ऐसे लोगों का एक बड़ा समूह है जिन्हे अब छात्रावासों की लत लग गई है। इनकी फितरत हमेश, किस प्रकार जुगाड़ लगाया जाए इस पर अटकी रहती है। लेकिन प्रशासन को इससे क्या मतलब, उनकी आँखों में पट्टी जो बंधी है।
इसका उद्धरण एक नही बल्कि कई हैं और अनगिनत हैं, यदि बात की जाए हाल फिलहाल की तो, पूर्व में जिस महिला शिक्षिका पर कस्तूरबा और ज्ञानदेव में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे जो कतिथ तोर पर प्रमाणित भी हुए लेकिन जैसे ही हमने कहा, प्रशासन की आँखों में पट्टी जो बंधी है, उसी शिक्षिका को फिर एक बार जनजातीय कार्य विभाग के द्वारा नए छात्रावास का जिम्मा दे दिया गया है।
अब यह विषय बेहद चिंता जनक बन गया है। सहायक आयुक्त जन जातीय कार्य विभाग के द्वारा 17 नवंबर को जारी विभागीय पत्र क्रमांक 7987 के माध्यम से यह आदेश दिया गया था की सीनियर आदिवासी कन्या छात्रावास शहडोल में पदस्थ अधिशक, सहायक शिक्षक को दिनांक 31 मार्च 2019 को सेवा पूर्ण करने के फलस्वरूप छात्रावास अधीक्षक का अतिरिक्त प्रभार श्रीमती किरण सिंह प्राथमिक शिक्षक सीनियर अनुसूचित जाती कन्या छात्रावास शहडोल को सौंपा जाएगा, कोविड के कारण जीसे बंद कर रखा था लेकिन फिर एक बार इन्हे शुरू कर लिया गया है।
जिन्हे अभी पदस्थ किया गया है उनपर गंभीर आरोप हैं की उनके द्वारा कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास सोहागपुर में 200 छात्राओं की प्रति माह 100 रुपए बालिका वृति की राशि उनके खाते में जमा न कर गबन की गई थी, तीन सदसीय जांच के बाद यह आदेश दिए गए की अधिशिका के खिलाफ आई गुमनाम शिकायत जांच के बाद सही पाई गई, और उनके द्वारा यह कहा गया की यह कार्य बालिकाओं के आर्थिक शोषण में आता है, इनके खिलाफ कार्यवाही प्रस्तावित की जाती है।
इसके बावजूद भी जब ऐसी घटना सामने निकल कर के आती है तो आश्चर्य होता है, प्रशासन की मौजूदगी पर।