भारतीय सभ्यता के हिसाब से मानव जीवन में कुछ खास चीजों को करने का एक सही समय निर्धारित किया गया है।जिससे सही समय पर वो काम करने से वो यादगार बना रहता है। आपको ज्यादा कन्फ्यूज न करके सीधा-सीधा बताते हैं। आज हम बात कर रहे हैं हाल ही में हुए फैसले की जिसमे लड़कियों की शादी की नियुतमं उम्र बढ़ाने की बात करी गई है और उसे कानून में तब्दील किया जा रहा है ।जिस कानून की वजह से हर कोई बात तो कर रहा है उन लड़कियों की जो इस कानून से खुश हैं लेकिन समाज में कुछ लड़कियां ऐसी भी हैं जो इस कानून से खुश नही है।लेकिन कोई भी उसके बारे में बात करता हुआ नजर नही आ रहा, क्यूँ ?
आइए बात करते हैं, समाज के ऐसी लड़कियों के बारे में जिनके परिवार में शादी से पहले कोई भी प्रकार के शारीरिक संबंध यानि की premarital sex) को एक गुनाह माना जाता है,अब यदि लड़कियों का मन भी है और वो चाहिती हैं की उनकी शादी हो जाए, लेकिन सरकार के इस कानून के बाद अपनी मर्जी से शादी करने के फैसले पर भी एक बड़ा फूल स्टॉप लगाना पड़ेगा। क्यूँ इस ओर किसीकी नजर नही पड़ रही है? विषय संगीन है।
ये बात जरूर है की कुछ ऐसे ही मुद्दों को लेकर विपक्ष ने इस कानून पर सवाल जरूर उठाएँ हैं।लेकिन विपक्ष के खासे विरोध के बीच लोकसभा में मंगलवार को सरकार ने बाल विवाह निषेध संशोधन बिल, 2021 पेश किया।केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने विपक्ष के हंगामे के बीच बिल को सदन में रखा।इस संशोधन बिल में महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है। जबकि पुरुषों के लिए उम्र 21 साल ही है।विपक्ष जहां एक ओर बिल लाए जाने के तरीके का विरोध कर रहा था, वहीं उसकी मांग थी कि बिल पर व्यापक चर्चा के लिए इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए।बिल पर अपना पक्ष रखने के बाद इरानी ने आसानी से इस बिल को स्थायी समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा।बता दें कि इस बिल में शादी की उम्र वाला प्रावधान देश के सभी समुदायों के विवाह संबंधी कानूनों पर लागू होगा, जिसके बाद देश में मौजूद तमाम विवाह कानूनों में संशोधन करना होगा
कुल मिलाकर देखा जाए तो ये तर्क भी सही लगता है की शारीरिक बंधन मनुष्य के लिए मूलभूत जरूरत है, और कहीं ऐसा न हो की ये नया कानून शादी की उम्र से इसमे और दूरी ले आए जिसकी वजह से लड़कियों के जीवन में और सामाजिक ब्योहार में इसका प्रभाव पड़े।और क्या हमारा समाज इस ब्योहार को स्वीकार कर पाएगा? यह आप ही बेहतर जानते हैं?
बता दें दुनिया के 146 देश का राज्य या प्रथागत कानून 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को माता-पिता या अन्य अधिकारियों की सहमति से शादी करने की अनुमति देता है वहीं 52 देशों में 15 साल से कम उम्र की लड़कियां माता-पिता की सहमति से शादी कर सकती हैं।यहां तक कि 180 देशों में पुरुषों की सहमति के बिना विवाह की कानूनी उम्र 18 है।वहीं दुनिया के अधिकांश देशों में शादी के लिए लड़कों के औसत न्यूनतम कानूनी उम्र 17 साल और लड़कियों के लिए 16 साल है।दुनिया के कई मुस्लिम समेत अन्य देश हैं जहां लड़कियों को 17 से कम आयु में शादी करने की इजाजत है।
अब देश की उन लड़कियों के बारे में सोचना भी जरूरी है। आप इस कानून के बारे में क्या सोचते हैं कमेन्ट सेक्शन में हमसे जरूर साझा करें।