टीवी शो अनुपमा ऑन एयर होने के बाद से ही टीआरपी लिस्ट में जगह बनाए हुए है। रूपाली गांगुली, सुधांशु पांडे, मदालसा शर्मा चक्रवर्ती, अल्पना बुच, पारस कलनावत और आशीष मेहरोत्रा के इस टीवी सीरियल को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है। ये रिश्ता क्या कहलाता है के बाद राजन शाही का ये दूसरा शो है जिसने कम वक्त में ही अपनी यूनिक स्टोरी लाइन के जरिए जनता के दिलों में जगह बना ली है।
अनुपमा एक ऐसी महिला की कहानी है जो अपना जीवन अपने परिवार के नाम कर चुकी है, वह जब उठती है तो उसके लिए उसका परिवार है वह जब सोती है तब भी उसके लिए उसका परिवार है। उसकी आंखों में बड़ों के लिए इज्जत है और छोटों के लिए दिल में प्यार है। वह सब की परवाह करती है, लेकिन अंदर ही अंदर घुटती रहती है। अनुपमा के पास परिवार है, सास-ससुर है, पति है, बच्चे हैं, गाड़ी है, घर है लेकिन उसे कोई प्यार और सम्मान देने वाला नहीं है जिसकी वह हकदार है।
अनुपमा हर एक उस महिला को इस सीरियल के माध्यम से दर्शाती है जो अपने परिवार से प्यार और सम्मान के लिए तरसती हैं। जब अनुपमा इस कड़वे सच का सामना करती है तो वह खुद से यह प्रण लेती है कि अब से वह अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जिएगी। इस विचार के साथ जब वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ती है। एक महिला मां, पत्नी और बहू के किरदार को निभाते हुए किन तकलीफों से गुजरती है, इस बात को दर्शक अब समझ गए हैं. इस सीरियल में कुछ भी अनोखा नहीं दिखाया गया है, सिर्फ हर महिला की सच्चाई दिखाई गई है।
आज के जमाने की हर महिला अनुपमा के अंदर कहीं ना कहीं खुद को देखती है. कहने को तो यह सीरियल है लेकिन हर महिला की रियल स्टोरी है. इसलिए जब भी अनुपमा परेशान होती है तो महिलाएं भी परेशान हो जाती हैं और यह जानना चाहती हैं कि कैेस अनुपमा उन परेशानियों से डील करती है. क्योंकि महिलाओं को असल जिंदगी में भी इन्हीं तरह की परेशानयों से पाला पड़ता है। वे खुद को अनुपमा से जुड़ा हुआ महसूस करती हैं. अच्छी बात यह है कि अनुपमा कोई हाय बेचारी टाइप महिला नहीं है. अनुपमा वो नहीं है जो परेशानियों से हार मानकर जीना छोड़ दे, अनुपमा तो वो है जो हर मुश्किल का सामना करते हुए आगे बढ़ जाए।
इस सीरियल में महिलाओं से जुड़े कई मुद्दे भी बड़ी बारीकी के साथ उजागर किए जा रहे हैं. जैसे-
- घर का सारा काम हाउसवाइफ ही क्यों करें?
- एक महिला को गाड़ी क्यों नहीं चलानी चाहिए?
- एक हाउसवाइफ घड़ी क्यों नहीं पहन सकती?
- हर मामले की जिम्मेदार घर की महिला क्यों होती है?
- घर की महिलाएं अपने सपनों से समझौता क्यों करें?
- हर बार माफी महिलाएं क्यों मांगे?
- महिलाओं से क्यों उम्मीद की जाती है कि पति कितनी भी गलती कर दे वे माफ कर दें?
- रिश्ता निभाने की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की क्यों है?
- महिलाएं अपनी पसंद का खाना क्यों नहीं बना सकतीं?
- महिलाओं को घर के कामों से एक दिन छुट्टी क्यों नहीं मिल सकती?
- एक महिला आगे बढ़कर तलाक क्यों नहीं ले सकती?
- घर में सबकी खुशियों के लिए एक महिला ही क्यों कंप्रोमाइज करे?
- घर की प्रॉपर्टी पर महिलाओं का हक क्यों नहीं?
- यहां तक की बहू और बेटे के जन्मदिन में अंतर क्यों?
- एक महिला अकेले क्यों नहीं जिंदगी बिता सकती?
- एक महिला से यह क्यों उम्मीद की जाती है कि वह पति के गलती को माफ कर दे और रिश्ता ना तोड़े?
- एक महिला अपने मन पसंद का काम क्यों नहीं कर सकती?
- एक महिला अपने हेल्थ का ध्यान क्यों नहीं रखती?
- एक महिला खुद को सभी घरवालों के बाद क्यों रखती है?
- एक महिला अपना गुस्सा क्यों नहीं जाहिर कर सकती?
कुल मिलाकर इस सीरियल में हाउस वाइफ की असल जिंदगी को दिखाया जा रहा है. जो लगभग हर घर की सच्चाई है. खासकर 40 से 45 साल की वे महिलाएं जो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाईं या फिर पढ़ने के बाद भी अपने सपनों को मारकर घर-परिवार की जिम्मेदारियों में रमकर खुद को भूल गईं. पहली बार किसी सीरियल में सास-बहू, साजिश के अलावा इतनी असलियत देखने को मिल रही है. जो किसी सस्पेंस के साथ नहीं दिखाया जाता, ऐसा लगता है कि हम टीवी सीरियल नहीं बल्कि असल जिंदगी को देख रहे हैं।
उम्मीद यही होगी की एक मां, एक पत्नी और एक बहू के रूप के अलावा महिला का अपना भी एक रूप होता है. इस सीरियल को देखकर लोगों को यह बात तो समझ आ ही जाएगी. साथ ही Housewife की तकलीफ को भी दर्शक महसूस कर पाएंगे।