अनूपपुर जिले के कोतमा क्षेत्र वार्ड नं.7 एलआईसी के पीछे रहने वाले लोग और नगर की साफ सफाई करने वाले सफाई कर्मचारी खुद ही नगर की गन्दी बस्तियों के बीच रहने को मजबूर हो गए है। नगर पालिका ने वार्ड नं.7 में रहने वाले सफाई कर्मचारियों को जमीन दी और रहने के लिए आवास घर भी बनवाये, जहाँ 30 सफाई कर्मचारी अपने परिवार के साथ रहते है। लेकिन आज तक नगर पालिका द्वारा उस बस्ती में ना तो सड़क बनी और ना ही नाली जिससे घरों से निकलने वाला गन्दा पानी रास्ते पर ही जमा हो जाता है। और गंदगी रहती है जिससे मच्छर पनपतें है और इससे बीमार होने का खतरा बढ़ रहा है।
नगर की सफाई जिन सफाई कर्मचारियों की वजह से होती है आज वही गंदगी के बीच जीवन गुजार रहे है, कई बार इसकी शिकायत कर्मचारियों एवं बस्ती में रहने वालों लोगों ने नगर पालिका में की लेकिन आज तक नगर पालिका के अधिकारियों ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया बल्कि चुप्पी साधे बैठे। जिस वजह से मजबूरी से बेबस हो कर लोग गन्दी में रहने को मजबूर हो गये है।
प्रशासन ने यह पहली बार मामले को नजर अंदाज नहीं किया है बल्कि हमेशा से इस तरह के मामले को नजर अंदाज करते आ रहे है, यह मामला सिर्फ कोतमा क्षेत्र का नहीं बल्कि जिले में जितनी भी बस्तियां है वहां सबका यही हाल है जहाँ लोगों के शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं की जाती है और उन्हें मज़बूरी में इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
जब गुस्से में आ कर लोगों ने नगर पालिका परिषद का घेराव किया और सड़क और नाली बनवाने की मांग की तब नगर पालिका के सीएमओ विकास चंद्र मिश्रा ने परिषद में बैठक की जिसमें वार्ड नं. 7 के पार्षद और नगर के अध्यक्ष शामिल थे जिसमें सड़क और नाली निर्माण का प्रस्ताव रखा गया और कार्य निर्माण की स्वीकृति दी गयी।
अब देखना यह है की कब तक निर्माण कार्य शुरू किया जाता है क्योंकि हर बार अधिकारी सिर्फ निर्माण कार्य की स्वीकृति ही देते है लेकिन काम समय से शुरू नहीं होता और कई साल लग जाते है या फिर ऐसे ही बस्तियों में रहने वाले सफाई कर्मचारी और लोगों को गन्दी के बीच रह कर जीवन काटना पड़ेगा।