भोपाल के देवास के नेमावर में शादी के लिए परेशान कर रही है प्रेमिका को रास्ते से हटाने के लिए हिन्दू संगठन के पदाधिकारी सुरेंद्र केसरिया ने प्रेमिका के पूरे परिवार की हत्या करके उन्हें एक गड्ढे में गाढ़ दिया था। जी हां, इसी खौफनाक हत्याकांड ने लगभग 6 महीने से प्रदेश भर में हड़कंप मचाया हुआ था, जिस पर अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आदेश के बाद इस केस को सीबीआई को सौंपा गया है।
बता दें कि सुरेंद्र केसरिया का मृतक रुपाली के साथ लव-अफेयर था। किंतु जब रुपाली को उसका रिश्ता कहीं और तय होने की खबर मिली तो उसने सुरेंद्र पर उससे शादी करने का दबाव बनाया था। जिसके बाद सुरेंद्र ने उसे अपने रास्ते से हटाने के लिए उसके पूरे परिवार को ही मार डाला। इस घिनौने अपराध में सुरेंद्र ने अपने भाई, 2 नौकर और 2 दोस्तों की मदद ली और रुपाली समेत उसके परिवार के 4 और सदस्यों की हत्या कर उन्हें मेला रोड स्थित एक 8 फीट गहरे गड्ढे में गाढ़ दिया था।
13 मई 2021 को नेमावर से आदिवासी परिवार के पांच सदस्य लापता हो गए थे, जिसकी शिकायत थाने में की गई थी। पर बहुत समय तक इनका कुछ पता नहीं चला था, फिर लगभग डेढ़ महीने बाद 30 जून को एक गड्ढे में 5 लोगों की कंकाल मिली तो पता चला कि रुपाली और उसके परिवार की हत्या हो चुकी है।
इस आदिवासी परिवार के शव मिलने के बाद से ही सियासी पारा बढ़ने लगा और पूरे आदिवासी संगठन व भीम आर्मी ने पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। फिर जब परिवार की एकमात्र जीवित लड़की भारती कास्डे द्वारा न्याय यात्रा की चेतावनी दी गई, तब जाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को अचानक सीबीआई से जांच कराने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखकर भेजा। इस केस पर कोई कड़ी कार्यवाही न होने के कारण पूरा आदिवासी संगठन आक्रोशित है। इससे पहले सरकार ने पीड़ित परिवार को 41 लाख रूपए का मुआवज़ा दिया था, साथ ही आरोपियों के घर पर बुलडोज़र तक चलवाया, लेकिन इस मामले की राजनितिक सियासत खत्म नहीं हुई।
पूर्व मुखयमंत्री कमलनाथ ने भी पीड़ित परिवार से मुलाकात की और राज्य सरकार पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। तब से आक्रोशित आदिवासी संगठन द्वारा लगातार सीबीआई की जांच की मांग की गई थी। फिर अचानक से सरकार की ओर से इसे मंज़ूरी मिल जाना, एक चुनावी स्टंट माना जा रहा है। क्योंकि 2023 में विधानसभा चुनाव होने को है और अगर अब इस घटना पर सरकार ने कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया तो भविष्य में उनके लिए ही दिक्कत हो सकती है।
जिले में आदिवासियों की आबादी अच्छी-खासी है और इनके द्वारा कई वोट मिलने से बीजेपी सरकार को फायदा ही होगा। तो अब ऐसा माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का यह बड़ा आदेश इसी बात से जुड़ा हुआ है। और सरकार आदिवासी संघ को वापिस बेजीपी के पाले में लाना चाह रही है। अब ये बात कितनी सच है, कुछ कहा नहीं जा सकता। उम्मीद है, कि सीबीआई जांच के बाद आरोपियों को उनके इस घिनौने अपराध की सज़ा मिलेगी और पीड़ित परिवार को इंसाफ भी।