एक बेहद दुखद खबर सोहागपुर थाना क्षेत्र से आई जिसने सभी को झकझोर के रख दिया है। युवक की हादसे से मौत के बाद छोटा भाई नही सह पाया सदमा और लगा ली खुद को फांसी। जी हाँ, पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक 1 जनवरी को सोन नदी के नरवार घाट में पिकनिक मनाने स्थानीय युवा पहुंचे, जिन्हे कहाँ खबर थी की नया वर्ष खुशियों की जगह, मातम पसार देगा।
पिकनिक मनाने गए सभी युवा एक साथ नदी में नहा रहे थे, उसी समय उपेंद्र मिश्रा गहरे पानी में चला गया, जब तक की उसके दोस्त को मालूम लगता की उपेंद्र पानी में डूब रहा है तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी। घटना शनिवार शाम की है, कुल मिलाकर पाँच दोस्त थे। खबर मिलते ही पुलिस प्रशासन घटना स्थल पर पहुंची और घटना का जायजा लिया। रविवार की सुबह शव नदी के बाहर निकाला गया क्यूंकी शनिवार को रात हो चुकी थी। इस खबर के कुछ देर बाद ही एक और दर्दनाक खबर निकल कर के आई की उपेंद्र के छोटे भाई शिवेंद्र मिश्रा ने फांसी लगा कर खुदखुशी कर ली है।
इस हादसे के बाद शिवेंद्र के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। एक घर से दोनों बेटों के जाने से परिवार का माहौल गमगीन है। छोटे भाई ने आत्महत्या करने से पहले अपनी चचेरी बहन को फोन भी लगाया और कुछ समय बाद फांसी के फंदे से लटकता शव मिला। एक ही परिवार में दो लोगों की मौत की खबर से हर कोई सदमे मे था। पूरे गाँव में मातम का माहौल पसरा था, किसी के आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे। एक घर से जब साथ में दो भाइयों की अर्थी उठी तो पूरा गाँव गम में पड़ा रहा, हर किसी का धैर्य टूटता हुआ नज़र आया। परिवार के सदस्य, दोस्त, रिश्तेदार दोबारा से एक आखरी झलक देखने के लिए शव यात्रा के पीछे आने लगे।
खबरों के मुताबिक उपेंद्र सहित संदीप, सुदीप और शिवेंद्र चार भाई थे, पहले दोनों भाई की शादी हो चुकी है, बचे भाइयों में उपेंद्र और शिवेंद्र थे, कुछ वर्ष पहले ही माता पिता भी मौत के घाट उतर गए थे, बहन की भी कम उम्र में मृत्य हो चुकी थी। इनके पिता पुलिस विभाग में तैनात थे, जिनकी मृत्य के बाद सुदीप को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी और शहडोल में पदस्थ भी थे।
बड़े भाई की मौत की खबर को सहन न करने वाले छोटे भाई शिवेंद्र आर्मी में जाने की तयारी कर रहा था, लेकिन मालूम कहाँ था की ज़िंदगी का सफर बस यहीं तक था। परिवार वालों का कहना था की बड़े भाई की मृत्यु के बाद शिवेंद्र घाट पर सभी को हिम्मत देता रहा, बार बार यह कहता रहा की मैं हूँ ना, हमेशा साथ रहूँगा। रात 12 बजे तक सबके साथ बैठा रहा, फिर करीबन दो बजे अचानक उठकर बाड़ी की ओर चला गया, फिर चचेरी बहन को फोन लगाकर कहा की घर में सबका ध्यान रखना, जिसके बाद परिवार के सदस्यों ने उसकी तलाश करना शुरू कर दिया, फिर आखिरकार शिवेंद्र मिला तो सही लेकिन केवल एक शव के रूप में। परिवार वालों ने दोनों के रिश्ते की बात करते हुए कहा की दोनों एक दूसरे के साथ दोस्त की तरह रहते थे, हर सुख दुख के साथी थे, हर बात एक दूसरे से साझा करते थे।
अब ऐसे हादसे प्रदेश सरकार की बुनियादी व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर देती है। क्या कोई प्राशासनिक व्यक्ति की तैनाती नही थी,उस स्थल पर जहाँ पानी इतना गहरा हो? और आखिर क्यूँ प्रदेश प्रशासन नाकाम रही, शव को उसी दिन ढूंढ निकालने में? क्यूँ एक रात तक के लंबे समय बाद शव की जानकारी प्राप्त हुई? विषय चिंताजनक है। उम्मीद यही होगी की परिवार में आई मुसीबत के इस समय में प्रशासन एक हेल्पिंग हैन्ड के तौर पर उभर कर के आए।