निर्माण कार्य का नाम आते ही प्रदेश की दुर्दशा का पता लगता है। राष्ट्रीय राजमार्ग़ क्रमांक 43 के निर्माण कार्य का जिम्मा मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम ने ठेका पद्धति के माध्यम से कुछ अलग अलग कॉम्पनियों को दी थी, उसी में शहडोल में तीन पैंचों में काम होना था। जिसमे से शहडोल से मनेन्द्रगढ़ का काम दिलीप बिलड़कॉन ने निर्धारित अवधि से पहले ही कर दिया, दूसरा पैच उमरिया से कटनी का था, जिसका कार्य भी पिछले साल पूरा हो चुका है, अब बात आती है तीसरे पैच की जो उमरिया से शहडोल का था, लेकिन इस पैच को कब पूरा किया जाएगा यह बता पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन सा लगता है।
जी हाँ, बात चिंताजनक बन जाती है क्यूंकी 333 करोड़ का भारी बजट इस प्रोजेक्ट में आवंटित किया गया हैं फिर भी 6 वर्ष का लंबा समय बीत चुका है लेकिनसरकार की कोई मंशा इसे पूरा कराने में नज़र नही पड़ती। और सरकार के इस रवेये को देख कर यह भी पता लगता है की आने वाले 1 2 सालों में भी यह पैंच कार्य यूं ही निपूर्ण होगा। अब इन कॉम्पनियों की निर्माण कार्य करने की मंशा न जाने कब की है लेकिन दोनों कॉम्पनियों ने यह जरूर किया की पहले निर्मित सड़क को खोद दिया जिससे की शहडोल से उमरिया तक सड़कों पर अलग अलग स्थानों पर गड्डे और धूल मिट्टी नज़र आती है। इन सड़कों पर चलना राहगीरों को कई मुसीबत से रूबरू करवा रहा है, लेकिन वो कहते हैं न मरता क्या न करता। बिल्कुल वही हाल है प्रदेश में आम जनों का।
इस बात को आज तक भी समझ पाना मुश्किल लगता है, की निर्माण कार्य एक दो या पाँच स्थानों से शुरू न करके, दर्जन भर स्थानों से क्यूँ शुरू किया जाता है? कहीं दायें तो कभी बायें मार्ग की सड़क खोद दी, जगह जगह खड्डे ही खड्डे। अरे!!! जो सड़क बनी भी है, उनको तो लोगों के लिए छोड़ दें।
अब क्या है काम न होने की वजह? तो उमरिया और शहडोल के बीच लगभग 73 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के माध्यम से जीवीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट ltd कंपनी को साल 2015 में 333 करोड़ का ठेका दिया गया था, जो एक चेन्नई स्थित कंपनी है, उस कंपनी ने काम जरूर शुरू किया लेकिन पता नही यह काम अधर में क्यूँ लटक गया। अब इस निर्माण के लिए सड़क तो खोद दी लेकिन यह खोद निर्माण कार्य के लिए नही दुर्घटनाओं के लिए खुली छोड़ दी गई। अब यही निर्माण कार्य दूसरी कंपनी को सौंपी गई जिसका नाम है तिरुपति बिल्डकॉन कंपनी जिस पर एक वर्ष पहले भी कोरोड़ों रुपए का जुर्माना लग चुका है। अब 6 वर्ष बीत चुके हैं फिर भी काम ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है। जब हमने इस कंपनी के ओनर पदम सिंघानिया से बात करने की कोशिश की तो कोई जवाब नही मिला। जब हमने उनके शहडोल में स्तिथ ऑफिस में संपर्क किया तो कुछ ऐसा जवाब मिला। जिससे की यह साफ हो गया की कंपनी कितने पानी में है। वर्तमान में यह कार्य इन्ही दोनों कॉम्पनियों के बीच 70 और 30 आँकड़े में फंसा हुआ है।
अब इन सड़कों के न बनने से आम लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2015 से अब तक शहडोल से लेकर उमरिया मुख्यालय तक के मुख्य मार्गों में पड़ने वाले थानों में दर्ज सड़क दुर्घटनाओं के आँकड़े निकाले जाएँ तो पहले की तुलना में अधिक मात्रा में लोगों ने अपनी जान गवाई है, और इन मौतों का कारण कंपनी के द्वारा खोदे गए गड्ढे हैं।
जब इसी के चलते सम्भागीय प्रबंधक मध्य प्रदेश सड़क से पूछा गया तो उनका कहना था की जल्द ही निर्माण कार्य पूरा कराने में पूरा प्रशासन लगा हुआ है, दिसम्बर 2022 तक निर्माण कार्य पूरा करवाने की कोशिश की जाएगी
कितना प्रशासन निर्माण कार्य कराने में पीछे लगा हुआ है यह हम सभी जानते हैं, अब देखने वाली बात यह होगी की आखिर कब तक प्रशासन यह निर्माण कराने में समर्थ होती है और कब तक लोगों को मुसीबतों से घिरे रहना पड़ता है।