भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) की आचार संहिता का पालन करने के लिए 5-चुनाव वाले राज्यों में टीकाकरण प्रमाण पत्र पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की छवि दिखाई नहीं देगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कथित तौर पर CoWIN सॉफ़्टवेयर में फ़िल्टर लागू कर दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव वाले राज्यों में टीकाकरण प्रमाणपत्रों पर पीएम मोदी की तस्वीर दिखाई न दे। यह आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) मानदंडों का पालन करने के लिए किया गया है। इस तरह के उपाय पिछले साल पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी राज्यों में मतदान के दौरान किए गए थे। चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में लागू है।
चुनाव आयोग ने शनिवार को यूपी, पंजाब, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड (UP, Uttarakhand, Punjab, Manipur and Goa) के लिए विधानसभा चुनाव फरवरी मार्च के बीच कराने का ऐलान किया था. यूपी में सबसे ज्यादा सात चरणों में मतदान होना है. जबकि मणिपुर में दो और बाकी तीन राज्यों में 14 फरवरी को एक चरण में ही वोटिंग की जाएगी. मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने इसकी घोषणा की थी।
कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद मिलने वाले वैक्सीन सर्टिफिकेट पर पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर को लेकर विपक्ष शुरू से ही सवाल उठाथा रहा है, कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों से पीएम मोदी की तस्वीरें वैक्सीन सर्टिफिकेट से हटाने की खबरें भी आईं थीं, अब राज्य सभा में सरकार की तरफ से इस फोटो की जरूरत के बारे में जवाब यह आया, यह जवाब तब निकल कर के आया जब काँग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व जर्नलिस्ट कुमार केतकर ने सरकार से वैक्सीन सर्टिफिकेट पर पीएम नरेंद्र मोदी की फोटो को लेकर सवाल पूछा था, उन्होंने सवाल किया था की क्या सर्टिफिकेट पर पीएम की तस्वीर छापना जरूरी है?
केतकर ने आगे यह भी पूछा था की तस्वीर छापे जाने के पीछे का कारण क्या है? अब इन सवालों का जवाब स्वास्थ राज्यमंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार ने राज्य सभा में दिया, उन्होंने राज्यसभा को बताया की कोविड 19 अप्रोप्रीएट बिहेवीयर का पालन करना इस बीमारी को फैलने से रोकने का सबसे कारगर उपाय है और सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी के मैसेज के साथ फोटो लगी होने से लोगों में जागरूकता पैदा करने में मदद मिलती है।
उन्होंने आगे कहा की वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधान मंत्री के मैसेज के साथ फोटो होना वैक्सनैशन के बाद भी कोविड 19 अप्रोप्रीएट बिहेविअर का पालन करने के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद करता है, यह सरकार की नैतिकत और नीतिगत जिम्मेदारी है की वो इस तरह के जरूरी मैसेज लोगों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाए।
मंत्री ने आगे बताया की लोगों को कोविन के जरिए जो वैक्सीन सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं वो स्टैन्डर्ड हैं और WHO के नॉर्म के हिसाब से है। स्वास्थ मंत्रालय से यह भी पूछा गया था की क्या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने सर्टिफिकेट में पीएम मोदी की फोटो नही लगाई है? इसपर मंत्री ने बताया की सभी राज्य वैक्सनैशन के लिए कोइन एप का ही इस्तेमाल कर रहे हैं और एक स्टैन्डर्ड फॉर्मैट में वैक्सीन सर्टिफिकेट दिए जा रहे हैं।
हम आपको बता दें की वैक्सीन के बाद मिलने वाले सर्टिफिकेट में पीएम मोदी की फोटो के साथ दवाई भी, और कढ़ाई भी का मैसेज लिखा होता है। कई राज्यों और विपक्ष के नेताओं ने सर्टिफिकेट पर पीएम की फोटो लगे होने पर आप्ति जताई थी जिसपर कुमार केतकर ने एक सवाल और पूछा था जिसका जवाब सरकार ने अभी नही दिया है, केतकर ने पूछा था की क्या इससे पहले देश के किसी भी प्रधान मंत्री ने पोलिओ, खसरा आदि के सर्टिफिकेट में अपनी फोटो को छापना क्या जरूरी बनाया है? इसका जवाब देने में राज्य सरकार असमर्थ नज़र आई। अब देखने वाली बात यह होगी की आखिर कब तक यह जवाब देने में सरकार समर्थ होती है।