शहडोल जिले में किसान धान खरीदी केंद्रों की लड़खड़ाती व्यवस्था और शासन द्वारा फसल बेचने के लिए बढ़ाई गई समय अवधि कम होने से जिले के किसान असमंजस की स्थिति में फंसते नजर आ रहे हैं। जिले में कुल 27000 पंजीकृत किसान है जिनमें से अब तक कुल 20600 किसानों से खरीदी की जा चुकी है। अब शासन द्वारा खरीदी के लिए जो मोहलत दी गई है उन 4 दिनों में मात्र 1741 किसान ही फसल बेच सकेंगे।
बाकी के 6300 पंजीकृत किसान अपनी फसल बेचने से वंचित रह जाएंगे।जिले के खरीदी केंद्रों में अव्यवस्थाओं की हद हो चुकी है। ना तो धान भंडारण के लिए ठीक व्यवस्था की गई, ना हीं खरीदी के दौरान परिवहन की रफ्तार में तेजी लाने का कोई प्रयास किया गया। किसानों द्वारा बेची गई फसल खरीदी केंद्रों में बाहर पड़ी नजर आती रही। शासन स्तर पर खरीदी के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनमें किसानों का 15 जनवरी तक या उससे पहले संबंधित केंद्र में हाजिरी लगाना या फिर पंजीकृत मोबाइल नंबर पर सेकंड SMS मिलना शामिल हैं।
अधिकारियों ने यह नियम तो बड़े चाव से बना दिए, लेकिन काम कुछ इस तरह से कर रहे हैं कि किसान इन शर्तो को चाह कर भी पूरा न कर पाए। खरीदी के लिए निर्धारित पूरी समयावधि ही बीत गई लेकिन कई किसान ऐसे है जिनको इस दौरान एक भी SMS नहीं मिला। किसानो की शिकायत है की उनको या तो SMS मिले ही नहीं और कईयो को बहुत लेट SMS मिले।
कई किसान ऐसे भी है जो खराब मौसम के चलते केंद्र तक समय से नही जा सके जिससे उन्हें SMS नहीं मिल पाया।इन्ही सब अव्यवस्थाओ और किसानों की परेशानियों के संबंध में जिले के किसान संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है।भाजपा किसान मोर्चा शहडोल के अध्यक्ष रविकांत त्रिपाठी ने कहा – ‘ पंजीकृत किसान यदि उपज बेचना चाहते हैं तो उनसे हर हाल में खरीदी करनी होगी। संगठन किसानों के साथ है। यदि किसानों को कोई समस्या होती है तो संगठन उनके साथ खड़ा रहेगा। वही जिले के खाद्य आपूर्ति नियंत्रक कमलेश टांडेकर ने सेकंड SMS नहीं मिलने और 15 जनवरी तक फसल बेचने के इक्छुक किसानों से फसल खरीदने की बात कही।
एक परेशानी प्रशासन का दिया गया नया निर्देश है जिसमें कहा गया है कि खरीद की समय अवधि समाप्त होने के बाद जिन किसान समितियों ने खरीदी संबंधी जानकारी शासन को भेजी है, मात्र उन्हीं की किसान संख्या के आधार पर आगामी 20 जनवरी तक खरीदी की जाएगी। शेष यहां पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे।
कई बड़े सवाल निकलकर सामने आ रहे हैं। बड़ी संख्या में किसान फसल बेचने से छूट रहे हैं। उनके लिए शासन की क्या व्यवस्था है? इतनी मात्रा में जो फसल नहीं खरीदी जाएगी, क्या उसका सही मूल्य किसान जुटा पायेगा? खरीदी से जुड़ी अवस्थाएं आखिर कब सुधारी जाएंगी?