देखते ही देखते एक बार फिर लाख से ज़्यादा कोरोना के मामले आने लगे हैं. हर दिन संक्रमितों की तादाद बढ़ती जा रही है और इसके साथ ही बढ़ रही है फ़िक्र कि क्या हमने तीसरी लहर से निपटने की तैयारी कर ली है. इस संक्रमण से निपटने की तैयारी है तो चुनाव की भी तैयारी है. कोरोना की दूसरी लहर से क्या हमने सीख ली है? क्या यह तीसरी लहर है? अब तो लोग तीसरी लहर से जुड़ी बातों को मौसम की अपडेट की तरह देख रहे हैं।
लापरवाही की तस्वीरों और रिपोर्ट्स देखकर तो ऐसा बिल्कुल नही लगता कि हम कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के लिए तयार भी हैं। पिछले करीब दो साल से कोरोना वायरस पूरी दुनिया को सता रहा है। पिछले 100 सालों की सबसे घातक महामारी साबित हो रहा कोविड-19 नए रूप में हमारे सामने है। ओमीक्रोन वेरिएंट का खतरा कितनी तेजी से बढ़ा है, उसका अंदाजा इस बात से लगाएं कि 2 दिसंबर को भारत में पहला केस सामने आया। 2 महीनों में ओमीक्रोन के मामलों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। आशंका है कि देश में कोविड की तीसरी लहर के पीछे ओमीक्रोन ही होगा, ठीक उसी तरह जैसे दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट ने कहर बरपाया। नए वेरिएंट के खतरे को देखते हुए सरकारों ने इंतजाम तेज कर दिए हैं। जिम्मेदारी पर खतरा उतरने का दारोमदार जनता पर भी है जिसे कोविड से जुड़ी सभी सावधानियों का पालन करते रहना होगा।
भारत के टॉप हेल्थ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि यह समय बेहद महत्वपूर्ण है। अगर हमने लापरवाही बरती तो नतीजा बेहद बुरा हो सकता है। सभी ओमीक्रोन की संक्रामकता पर एकमत दिखते हैं। कोविड से जुड़ी सावधानियों के पालन की नसीहत सबने दी है, फिर चाहे वे एम्स (दिल्ली) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया, मेदांता के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहन हों या टॉप वैक्सीन एक्सपर्ट डॉ गगनदीप कांग। एक्सपर्ट्स वैक्सीन की बूस्टर डोज भी जल्द से जल्द रोलआउट करने की वकालत कर रहे हैं नाही केवल फ्रंट लाइन वर्कर्स के लिए बल्कि सभी आम नागरिकों के लिए भी।
ओमीक्रोन से बचाव के लिए एक्सपर्ट्स ने वैक्सीनेशन की जरूरत बताई है। अभी तक की रिसर्च यह बताती है कि यह वेरिएंट डेल्टा से ज्यादा संक्रामक है मगर शायद कम घातक है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार कह रहे हैं कि ओमीक्रोन से बचने के लिए वैक्सीनेटेड होना जरूरी है। चाहे पहले के कोविड इन्फेक्शन से बनी इम्युनिटी हो या वैक्सीन की दो डोज लगने के बाद जेनेरेट हुई इम्युनिटी, ओमीक्रोन से लड़ाई में उसकी बहुत जरूरत पड़ेगी। दिक्कत यह है कि कुछ समय बाद (3 से 6 महीने) इम्युनिटी कम होने लगती है। हाल ही में ‘द लैंसेट’ की एक रिपोर्ट आई जिसमें कहा गया कि कोविशील्ड (भारत में सबसे ज्यादा यही वैक्सीन लगी है) की इम्युनिटी तीन महीने बाद घटने लगती है। यही वजह है कि बूस्टर डोज पर जोर दिया जा रहा है।
इसी के चलते IIT-कानपुर के प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने एक इंटरव्यू में कहा है कि दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में कोरोना की चल रही तीसरी लहर का पीक मध्य जनवरी में आएगा. यानी हर दिन लगभग 8 लाख कोरोना मामलों का अनुमान प्रोफेसर ने लगाया है. कोरोना की दूसरी लहर के पीक में भी इतने मामले नहीं आए थे।
कोई भी पक्के तौर पर यह नहीं बता सकता कि किसी विशेष घटना के बाद जीवन कब सामान्य हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जिसे हम सामान्य कहते हैं, वह चीजें भी हमेशा बदलती रहती है। यहां तक कि सामान्य समय में भी इनमें बदलाव होता रहता है। फिर भी यह सवाल हमेशा उठता रहता है कि आखिर महामारी के बाद जनजीवन कब सामान्य होगा? यह एक ऐसा सवाल है जिसके बारे में कोई कुछ नहीं बता सकता। खासकर कोरोना से जुड़े नये घटनाओं के सामने आने के बाद, जैसे ओमीक्रॉन नाम का एक अधिक संक्रामक वेरिएंट का मिलना। इन सबके चलते महामारी को लेकर हमारी धारणाओं और भविष्यवाणियों का बदलना जारी है।
आशा यही होगी की आप सभी सुरक्षित होंगे और कोविड अनुरूप नियमों का पालन कर रहे होंगे।