कोरोना की तीसरी लहर प्रदेश में दस्तक दे चुकी है, इसी के चलते समाजसेवी एवं अधिवक्ता हनुमान शरण तिवारी ने स्कूल बंद किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर दी है और यह निर्देश भी जारी कर दिए हैं की मध्यप्रदेश शासन के अनुसार कोरोना के चलते विध्यालयों के दरवाजे जो महज कुछ समय के लिए खोले गए थे वो भी अब बंद हो जाएंगे। अब विध्यारतियों के लिए एक बार फिर 15 जनवरी से 31 जनवरी तक बंद कर दिए गए हैं।
अब इसके चलते अवश्य सी बात है अभिभावकों को निराशा तो होगी ही, क्यूंकी यह सवाल है बच्चों के भविष्य का, दो वर्ष से ज्यादा का लंबा समय बीत चुका है की बच्चों की पढ़ाई का कोई ठिकाना ही नही है। यह हाल केवल प्रदेश के बच्चों का ही नही बल्कि दुनिया भर के बच्चों का है। एक विध्यारती के जीवन में एक एक पल मूल्य कितना अधिक होता है यह हम सभी जानते हैं।
कोरोना काल में जिन बच्चों की शिक्षा चल रही है उन बच्चों की आने वाले समय में क्या भूमिका होगी यह बता पान मुश्किल सा लगने लगा है। ऐसे योग्यता के साथ न तो वो सरकार से नौकरी न ही रोजगार की मांग कर सकते हैं इसीके परिणामत वे जीवन जीने के लिए गलत रास्ते में चल देंगे। क्या इस बारे में सरकार ने एक बार भी सोचा।
सरकार बात करती है ऑनलाइन क्लास की, लेकिन क्या सरकार द्वारा यह विचार नही किया गया की, क्या सभी बच्चे ऐसे परिवारों से आते हैं जो एक फोन खरीद सकते हैं? जवाब तो बिल्कुल आसान है नही।
इस बार में कोई दोराय नही है की कोरोना संक्रमण काल में लोगों की ज़िंदगी सुरक्षित रखना सरकार की पहली जिम्मेदारी है, लेकिन जीवन बचाने के साथ ही देश का भविष्य भी बचाना सरकार का कर्तव्य है, शासन के प्रयासों से लोगों की ज़िंदगी की तो बचाने में मदद मिल रही है।