
यह जो आप तस्वीर देख रहे हैं, एक साधारण हाथी की है। अगर कभी आपके गांव या शहर में कोई हाथी आया हो तो आपने देखा होगा कि उसे जब कुछ खाने के लिए दिया जाता है तो अपनी सूंड से उठाकर वह उसे अपने मुंह में डाल कर खा लेता है। अब हाथी अगर अपना भोजन हमारी तरह ही मुंह से चबाकर खा रहा है तो फिर उसकी सूंड के पास के जो दो दांत बाहर दिख रहे हैं, ये क्या है? यही हैं हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और
आपने परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम तो सुना ही होगा। बच्चों को परीक्षा के तनाव से डील करना सिखाना और परीक्षा के प्रति आत्मविश्वास जगाने का भारत सरकार का कितना अच्छा प्रयास है ना? प्रधानमंत्री मोदी की किताब एग्जाम वॉरियर्स हिंदी बेस्ट सैलर लिस्ट में शामिल रही। कितनी अच्छी बात है ना? हर साल 10 लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी। आम आदमी पार्टी का यह वादा युवाओं के हित में कितना सराहनीय कदम है ना?
भारत का जन भी युवा है और मन भी युवा है। सुनकर कितना सही लगता है ना ? कुछ इसी तरह की घोषणाए,भाषण, कार्यक्रम सालों साल किए जाते हैं। देखिए चकराइयेगा नहीं, समझदारी से काम लीजिए। यह भाषण, यह बातें, यह किताबें सरकार के दिखाने के दांत है! तो खाने के दांत कौन से है? उनसे क्या काम लिया जा रहा है? खाने के दांत है, छात्रों के सिर पर लाठी मारती पुलिस।
3-3 सालों तक परीक्षा की वैकेंसी नहीं निकालना, परीक्षा आयोजित कर उसे बार-बार स्थगित करना, अगर परीक्षा हो जाए तब रिजल्ट में धांधली कर बच्चों का जीवन खराब कर देना पर्दे के पीछे से छात्रों के जीवन से खेलने वाले दांत है खाने वाले दांत! वैसे तो इस तरह की सरकारी कार्य शैली कोई नई बात नहीं है। लेकिन मामला गरमाया छात्रों के आंदोलन करने से
आरआरबी एनटीपीसी के cbt-1 रिजल्ट के खिलाफ प्रदर्शन की सबसे पहली तस्वीर आई बिहार पटना से। छात्रों ने ट्रेन रोक कर सरकार के सामने रिजल्ट में गड़बड़ी की बात कहते हुए संशोधित रिजल्ट जारी करने की मांग की। लेकिन यह बात रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड को समझ नहीं आई और उसने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को धमकी दे दी कि ऐसे छात्रों को परीक्षा से आजीवन रोक का सामना करना पड़ सकता है। पुलिसिया कार्यवाही करवाई गई जिससे नाराज चल रहे छात्र और भारी संख्या में आंदोलन में शामिल हो गए। सुबह होते-होते सोशल मीडिया पर पूरे देश से प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो फैल गई।
भारी संख्या में पुलिस बल, लड़कों को पीटती, हाथ में बंदूकें और आंसू गैस के गोले छोड़ती पुलिस। इन तस्वीरों को देखकर आपको लगेगा कि पुलिस आतंकवादी या खूंखार अपराधी को पकड़ने की कार्यवाही कर रही है।किसी लड़के का सिर फूटा हुआ है, कोई लड़की जख्मी है। हॉस्टल के कमरों से बंदूकों के हत्थे ठोक -ठोक कर छात्रों को पीटा जा रहा है। किसलिए? इसलिए कि छात्रों ने अपने हक के लिए आवाज बुलंद कर दी।
मामले में छात्रों का कहना है कि आरआरबी अपनी मनमानी कर रहा है। दरअसल रेलवे भर्ती बोर्ड ने 2019 में आरआरबी एनटीपीसी भर्ती के लिए देशभर में 35000 पदों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया। इस भर्ती में अलग-अलग ग्रेड की 13 भर्तियां की जाती है, जिसे सात स्लॉट में विभाजित किया जाता है। Cbt-1 और cbt 2 परीक्षा के माध्यम से दो चरणों में 20 और 8 गुना अभ्यर्थियों को क्वालीफाई किया जाना था, लेकिन ज्यादा परीक्षार्थी होने से आरआरबी ने ऐसा नहीं किया जबकि अलग-अलग हर स्लॉट के लिए उनके पदों के 20 गुना अभ्यर्थियों को क्वालीफाई घोषित कर दिया।
अब इससे मेरिट में आने वाले उम्मीदवार सभी स्लॉट की स्क्रीनिंग लिस्ट में चयनित हो गए हैं। बड़ी संख्या में अभ्यर्थी 1 से अधिक स्लॉट में ओवरलैप हो रहे हैं। असल में परीक्षा में क्वालीफाई करने वाले छात्र 20 गुना की जगह मात्र 5 से 6 गुना ही है जिससे बहुत कम छात्र cbt 2 में भाग ले पाएंगे। इस को लेकर छात्रों ने रेलवे बोर्ड को पत्र भी लिखा लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया।
शुरुआत में रेलवे छात्रों को धमकी देता रहा , लेकिन अब जब सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। ट्विटर पर जन आंदोलन चलाए जाने लगे। तब रेलवे ने एनटीपीसी और ग्रुप डी लेवल की परीक्षा ही स्थगित कर दी है। साथ ही 5 सदस्यीय डॉक्टर दीपक पीटर कमेटी गठित कर छात्रों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया है। 16 फरवरी तक छात्र अपनी समस्याएं कमेटी को भेज सकेंगे और फाइनल रिपोर्ट 4 मार्च को आने की बात कही जा रही है। अब छात्रों की मांगें सच में मानी जाएगी? परीक्षा और रिजल्ट प्रक्रिया में सुधार किया जाएगा या फिर यह कमेटी भी खाने के दांत और दिखाने के दांत और वाली श्रेणी में शामिल हो जाएगी।