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ए मेरे वतन के लोगो…. लिखने वाले कवि प्रदीप का जन्मदिन आज

  • Muskan Gangrade By Muskan Gangrade
  • February 7

15 अगस्त और 26 जनवरी को अनिवार्य रूप से बजने वाले इस गाने को सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसे गुनगुनाते हुए अक्सर आंखों में पानी आ जाता है। अगर आप से पूछा जाए कि इस गाने को किसने बनाया? इसके पीछे की टीम में कौन-कौन है? तो बड़ी संभावना है कि आप सबसे पहले इसकी गायक लता मंगेशकर का नाम लेंगे, फिर हो सकता है इसके कंपोजर सी. रामचंद्र को याद करेंगे, लेकिन गाने की आत्मा, उसके बोल लिखने वाले व्यक्ति को अक्सर भुला दिया जाता है।

ऐ मेरे वतन के लोगों, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, आज हिमालय की चोटी से फिर हमको ललकारा है, दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ताल, इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के जैसे कई लोकप्रिय और देशभक्ति की भावना से लबरेज गीतों की रचना करने के पीछे कवि प्रदीप की जादुई कलम का हाथ है।

आज ही के दिन 6 फरवरी 1915 को मध्यप्रदेश के उज्जैन में जन्मे कवि प्रदीप बचपन से ही देशभक्ति से ओतप्रोत कविताएं लिखते थे। कवि सम्मेलनों में भी उनका बोलबाला था। अपनी पढ़ाई के लिए लखनऊ जाने के बाद वे वहीं से मुंबई चले गए। वहां एक कवि सम्मेलन में उनकी कविताएं सुनकर बॉम्बे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय ने उन्हें फिल्म कंगन के लिए गीत लिखने का ऑफर दे दिया। इस फिल्म के लिए कवि प्रदीप ने चार गीत लिखे और 3 गीतों को अपनी आवाज दी। फिल्म की सफलता के बाद उन्हें अनजान, किस्मत, झूला, नया संसार, नास्तिक, संबंध और जागृति जैसी कई फिल्मों में गीतों के प्रस्ताव मिले। इसके बाद वे उज्जवल भविष्य की सीढ़ियों पर ऊपर की ओर बढ़ते चले गए।

कवि प्रदीप का असल नाम रामचंद्र नारायनजी द्विवेदी था। हिमांशु राय के कहने पर उन्होंने अपना नाम प्रदीप रख लिया लेकिन इंडस्ट्री में एक और अभिनेता प्रदीप होने से उन्हें बड़ी परेशानी होने लगी। चिट्ठियों की अदला-बदली होने लगी। तब उन्होंने अपना नाम बदलकर कवि प्रदीप कर लिया।

ब्रिटिश शासन में जन्मे कवि प्रदीप ने ज्यादातर देशभक्ति से ओतप्रोत कविताएं और गाने लिखे। हिमालय की गोद से… गाने पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश तक दे दिए गए जिसके बाद वे भूमिगत होकर रहने लगे। कवि प्रदीप ने पांच दशक के अपने करियर में 71 फिल्मों के लिए 1700 गीत लिखें।

भारत सरकार ने 1997-98 में उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। मध्य प्रदेश सरकार ने उनके सम्मान में 2013 में कवि प्रदीप राष्ट्रीय सम्मान की स्थापना की। 11 सितंबर 1998 को कैंसर की बीमारी से जूझते हुए उनका निधन हो गया।

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