अगर आप कोई कार्डियक यानी दिल संबंधी बीमारी लेकर किसी डॉक्टर के पास जाएं और वह आपकी आंखों में झांकने लगे! आंखों का परीक्षण करने लगे तो जाहिर है आप अचंभित हो जाएंगे या फिर डॉक्टर को बेवकूफ समझेंगे। लेकिन यहां आप गलती कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम विकसित किया है जो आपकी सिर्फ एक आंख को स्कैन करके यह बता सकता है कि आप को दिल का दौरा पड़ने का खतरा है या नहीं।
दरअसल रेटिना की छोटी रक्त वाहिकाओं यानी कि ब्लड वेसल्स में होने वाले बदलाव वस्कुलर बीमारी का संकेत देते हैं जो दिल को भी प्रभावित करती है। लंदन के लीड्स विश्वविद्यालय में एक अध्ययन किया गया जिसमें एक एआई को कुछ इस तरह से प्रशिक्षित किया गया कि वह खुद से नियमित रूप से रेटिना स्कैन पढ़कर उन लोगों की पहचान करें जिन्हें दिल का दौरा पड़ने की संभावना थी।इस पूरी रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने 5000 से ज्यादा लोगों के रेटिनल और कार्डियक स्कैन का उपयोग किया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने रेटिना में गड़बड़ होने पर दिल पर बुरा प्रभाव पड़ने की पुष्टि की। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम बड़ी आसानी से रेटिना स्कैन के जरिए दिल के बाएँ वेंट्रीकल के आकार और पंपिंग क्षमता का अनुमान लगाने में कामयाब रहा। यह तकनीक ह्रदय रोग की जांच में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।
साल दर साल भारत में हार्ट अटैक के कारण अपनी जान गंवाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कोरोना महामारी के बाद दिल का दौरा पड़ने से कितने ही लोगों की मौत हो गई। 2016 में 21914 लोगों ने हार्ट अटैक के कारण जान गवाई, 2018 में 25764 और 2019 में 28005 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो गई। स्मोकिंग, तनाव, डायबिटीज, अनुचित खानपान और मोटापे जैसी वजह से दिल का दौरा पड़ने का खतरा काफी बढ़ जाता है।अभी तक केवल इकोकार्डियोग्राफी या हार्ट m.r.i. जैसे परीक्षण से ही इसका पता लगाया जाता था। इस तरह का AI सिस्टम विकसित होने से ह्रदय संबंधी बीमारियों से जुड़ी मौतों का आंकड़ा तेजी से गिरने की संभावना है।
शोधकर्ताओं का दावा है कि इस सिस्टम की सटीकता 70 से 80% है। आप सोच रहे होंगे कि जरूर इसका खर्चा भारी भरकम होगा, लेकिन नहीं, रेटिना स्कैन तुलनात्मक रूप से सस्ते हैं और कई ऑप्टिशियनस के पास यह पहले से मौजूद है। इसका उपयोग ह्रदय रोग के शुरुआती लक्षणों को ट्रैक करने के लिए भी किया जा सकता है।